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विभिन्न सेक्टरों में काम का दबाव इतना अधिक बढ़ गया है कि वहां कर्मचारियों को चौबीसों घंटे और सातों दिन सिस्टम को चलाए रखने के लिए अलग-अलग शिफ्ट में काम करना पड़ता है। पर विशेषज्ञ मानते हैं कि हमारे शरीर के हार्मोन सूरज की रोशनी में यानी दिन के समय ज्यादा पॉजीटिव रिएक्ट करते हैं जबकि देर रात तक काम करने से शरीर में कई तरह की बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है। वहीं लगातार काम के बाद वीकेंड ब्रेक की भी अपनी आवश्यकता है। इनके न मिलने पर स्त्रियों और पुरुषों में कई तरह के सेहत संबंधी जोखिम जन्म लेने लगते हैं।
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नींद की कमी की वजह से ध्यान लगाने में परेशानी
नाइट शिफ्ट में काम करने वाली महिलाओं के मस्तिष्क पर पुरुषों की तुलना में कहीं ज्यादा बुरा असर पड़ता है। एक नई रिसर्च के अनुसार, पुरुषों की तुलना में महिलाओं के ब्रेन की परफॉरमेंस पर सर्काडियन प्रभाव (24 घंटों का जैविक चक्र) इतना ज्यादा होता है कि नाइट शिफ्ट पूरी होने के बाद महिलाएं बहुत ज्यादा कमजोर महसूस करने लगती हैं। नींद की कमी की वजह से ध्यान लगाने में परेशानी होती है। गाड़ी को कंट्रोल करने में दिक्कत होती है और मानसिक तनाव बढ़ जाता है।
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रात में स्ट्रेस हॉर्मोन रहते हैं ऐक्टिव
ह्यूमन रिप्रॉडक्शन जर्नल में प्रकाशित एक शोध के अनुसार, रात में दिन के बजाय तनाव वाले हॉर्मोन ज्यादा ऐक्टिव रहते हैं, जिससे छोटी-छोटी चीजों पर तनाव हो सकता है। तनाव की वजह से सेक्स हॉर्मोन ऐस्ट्रोजेन के बनने में बाधा आती है, जो मेनोपॉज के लिए जिम्मेदार हो सकता है। रिसर्च में यह भी पाया गया कि रात में काम करने वाली महिलाओं में ऑव्यूलेशन कम होता है। अगर आप दिन की शिफ्ट में काम करती हैं, तो आपका मेनॉपॉज 4-5 साल तक बढ़ जाता है।
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हड्डियों और याददाश्त को भी नुकसान
रात की शिफ्ट में काम करना चाहे मेल हो या फीमेल, दोनों के लिए ही नुकसानदेह होती है। मेमरी लॉस से लेकर हड्डियों तक की कई प्रॉब्लम्स से आपको जूझना पड़ सकता है। लेकिन इन सबके अलावा नाइट शिफ्ट में काम करने वाली महिलाओं में जल्दी मेनॉपॉज का खतरा भी बढ़ जाता है।
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पुरुषों की तुलना में महिलाओं को ज्यादा नुकसान
जो महिलाएं शिफ्ट वर्क में रात की शिफ्ट में ज्यादा काम करती हैं उनको ऑस्टियोपोरोसिस और याददाश्त की समस्या होने लगती है। डॉक्टर संजय महाजन कहते हैं कि नींद हमारी बायोलॉजिकल साइकल का एक अहम हिस्सा है और इसकी अनियमितता से कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। अनियमित नींद और अधूरी नींद के कई कारण हो सकते हैं और नाइट शिफ्ट उन्हीं में से एक है। रिसर्च में यह भी निकलकर आया है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं के लिए ये ज्यादा नुकसानदेह है।
बढ़ जाता है अर्ली मेनॉपॉज का खतरा
ह्यूमन रिप्रॉडक्शन जर्नल में प्रकाशित एक रिसर्च के अनुसार, रात की शिफ्ट में काम करने वाली महिलाओं में उम्र और समय से पहले मेनॉपॉज आ सकता है। वहीं एक अन्य शोध में पाया गया कि जो महिलाएं 20 महीने तक रात की शिफ्ट में काम कर रही थीं, उनमें अर्ली मेनोपॉज का खतरा 9 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। वहीं जो महिलाएं 20 साल से अधिक समय से नाइट शिफ्ट में काम कर रही थीं, उनमें यह खतरा 73 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। यह शोध 80 हजार से अधिक नर्सों पर किया गया है। अध्ययन में उन महिल नर्सों को शामिल किया गया था जो 22 वर्षों से शिफ्ट वर्क में काम कर रही थीं।