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Home / Hindi / Diseases & Conditions / भारत में हर घंटे निमोनिया से मरते हैं 14 से अधिक बच्चे, जानिए बच्चों में कितनी गंभीर है ये बीमारी

भारत में हर घंटे निमोनिया से मरते हैं 14 से अधिक बच्चे, जानिए बच्चों में कितनी गंभीर है ये बीमारी

निमोनिया अक्सर बैक्टीरिया, वायरल और फंगल संक्रमण के कारण होता है। यह एक प्रबंधनीय स्थिति है लेकिन यह घातक हो सकती है। यदि निमोनिया के लक्षण दिखने पर बच्चों को समय रहते डॉक्टर को दिखा दिया जाए तो बीमारी कंट्रोल में आ जाती है।

By: Rashmi Upadhyay   | Edited by: Rashmi Upadhyay   | | Published: October 23, 2020 8:55 am
Tags: cure of pneumonia  pneumonia disease  pneumonia in kid  pneumonia symptoms  pneumonia treatment  
भारत में हर घंटे निमोनिया से मरते हैं 14 से अधिक बच्चे, जानिए बच्चों में कितनी गंभीर है ये बीमारी

जब किसी व्यक्ति को निमोनिया होता है तो उसके लंग्स की वायु थैली (air sacs) में सूजन आ जाती है। जिसके चलते हवा के थैली में द्रव के संचय बन जाता है जो बाद में कफ के साथ खांसी और सांस लेने में परेशानी का सबब बनता है। निमोनिया से पीड़ित व्यक्ति को ठंड लगने के साथ बुखार भी होता है। यह अक्सर बैक्टीरिया, वायरल और फंगल संक्रमण के कारण होता है। यह एक प्रबंधनीय स्थिति है लेकिन यह घातक हो सकती है। यदि निमोनिया के लक्षण दिखने पर बच्चों को समय रहते डॉक्टर को दिखा दिया जाए तो बीमारी कंट्रोल में आ जाती है। यह शिशुओं, बच्चों और बुजुर्गों के लिए विशेष रूप से खतरनाक स्थिति होती है विशेष रूप से 5 साल से छोटे बच्चे और 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए। Also Read - लालू प्रसाद यादव की तबीयत में सुधार नहीं, इस गंभीर संक्रमण से हैं ग्रस्त, दिल्ली के एम्स में चल रहा है इलाज

जानें क्या कहती है स्टडी

हाल ही में यूनिसेफ के एक अध्ययन में कहा गया है कि निमोनिया के कारण भारत में हर घंटे पांच साल से कम उम्र के 14 से अधिक बच्चों की मौत होती है। हालांकि यह आंकड़ा 2018 का है। स्टडी में यह भी कहा गया है कि निमोनिया के कारण होने वाली मौत में भारत दुनियाभर में पांचवे स्थान पर आता है। अध्ययन में आगे कहा गया है कि 2018 में पांच साल के कम के लगभग 1,27,000 बच्चे निमोनिया से पीड़ित पाए गए। शोधकर्ताओं का कहना है कि इसके पीछे का एक बड़ा कारण कुपोषण है। वे कहते हैं कि इनडोर वायु प्रदूषण 22 प्रतिशत और बाहरी वायु प्रदूषण इन मौतों में 27 प्रतिशत योगदान देता है। दुःख की बात यह है कि निमोनिया एक रोगजनक बीमारी है। Also Read - बिहार के पूर्व सीएम लालू यादव की तबीयत बिगड़ी, दिख रहे हैं निमोनिया संक्रमण के लक्षण, एम्स (दिल्ली) में हो सकते हैं भर्ती



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बच्चों में ऐसे दिखते हैं निमोनिया के लक्षण

निमोनिया के लक्षण बच्चों में अलग अलग दिख सकते हैं। लक्षण भी अक्सर संक्रमण के कारण पर निर्भर करते हैं। यदि यह बैक्टीरिया है तो आपके बच्चे को खांसी के दौरान दर्द का अनुभव हो सकता है और साथ ही बलगम भी आ सकता है। कुछ बच्चों में निमोनिया के लक्षण बुखार के साथ ठंड लगना, उल्टी और दस्त, थकान, भूख न लगना और सांस लेने में परेशानी के साथ दिख सकते हैं। कुछ बच्चों को निमोनिया के दौरान सिरदर्द और बेचेनी हो सकती है। हालांकि निमोनिया के दौरान श्वास की समस्याएं भी दिख सकती हैं लेकिन यह बहुत कम मामलों में देखा जाता है। वायरल निमोनिया से बच्चे को बैक्टीरिया निमोनिया होने का अधिक खतरा हो सकता है। कभी-कभी बच्चे गर्दन की जकड़न या जोड़ों में सूजन भी महसूस कर सकते हैं।

बच्चों में निमोनिया की जांच

यदि आपको अपने शिशु में निमोनिया के लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श करें। इस स्थिति में डॉक्टर बच्चे की छाती का एक्स-रे, ब्लड टेस्ट और अन्य जांच कराने के लिए कह सकते हैं। वह एक पल्स ऑक्सीमेट्री, चेस्ट सीटी स्कैन, ब्रोंकोस्कोपी और फुफ्फुस फ्लूड कल्चर के लिए भी पूछ सकते हैं। हालांकि इस तरह की जांच केवल गंभीर मामलों में की जाती है।

बच्चों में निमोनिया का इलाज

डॉक्टर आमतौर पर बैक्टीरियल निमोनिया के लिए एंटीबायोटिक दवाओं और खांसी की दवाओं को लेने की बात कहते हैं। हालांकि कई बार बच्चे वायरल निमोनिया से खुद ही रिकवर कर जाते हैं। जबकि कभी-कभी बच्चों को एंटी-वायरल दवा भी दी जा सकती है। इसके अलावा डॉक्टर बच्चों को आराम करने, हेल्दी डाइट लेने और हाइड्रेट रहने के लिए भी कह सकते हैं। डॉक्टर पेरेंट्स से बच्चे के कमरे के लिए एक कूल मिस्ट ह्यूमिडिफायर लेने के लिए भी कह सकते हैं। गंभीर मामलों में, यानि कि जब बच्चे को सांस लेने में तकलीफ हो तो बच्चे को अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता हो सकती है।

Published : October 23, 2020 8:55 am
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