केंद्र सरकार अब दवा कारोबारियों पर नकेल कसने जा रही है। अगर दुकानदार ने एक भी एक्सपायर हो चुकी गोली को बेचा तो फिर पूरे बैच पर जुर्माना लगाया जाएगा। इसके लिए सरकार जल्द ही दवा कानून में बदलाव करने जा रही है।
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इस बदलाव के बाद एक बैच में बनने वाली लाखों दवाओं की एमआरपी पर जुर्माना लगाया जाएगा। ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट में इस प्रावधान को शामिल करने के प्रस्ताव को मंजूर कर लिया है। सेंट्रल ड्रग स्टैण्डर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (सीडीएससीओ) ने यह प्रस्ताव मंजूर कर लिया है। अंतिम मुहर के लिए इसे स्वास्थ्य मंत्रालय को भेजा गया है।
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इस पर भी लगेगा जुर्माना
नए प्रावधान के मुताबिक अब एक्सपायर के अलावा दवा की क्वालिटी से छेड़छाड़ होने पर भी यह नियम लागू होगा। दवा की क्वालिटी, मिलावटी दवा, टैबलेट अंदर टूटी हो, दवा की बोतल का ढक्कन लीक होने और सॉल्यूशन का रंग बदलने पर भी कंपनी पर जुर्माना लगेगा। 48 पैरामीटर पर दवा की जांच होगी। मौजूदा व्यवस्था में दवा मिलावटी या खराब होने पर ड्रग्स इंस्पेक्टर की रिपोर्ट पर कार्रवाई का प्रावधान है।
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खराब दवा, उपकरणों पर नहीं तय थी जवाबदेही
इससे पहले खराब दवा या फिर उपकरणों के बेचने पर कंपनियों पर किसी प्रकार की कोई जवाबदेही तय नहीं थी। कई बार ऐसी दवाओं के वितरण से लोगों की जान भी चली गई है।(सीडीएससीओ) ने 1940 में बने ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट में बदलाव करने के लिए सरकार को सुझाव दिया है।
देना होगा मुआवजा
सीडीएससीओ ने सरकार को सुझाव देते हुए कहा कि अभी तक एप्रूव दवाइयां लेने पर अगर मरीज की तबीयत बिगड़ती है, तो उस पर दवा कंपनियों पर किसी तरह की कोई उत्तरदायित्व नहीं था। अभी भारत में केवल ऐसे केस में मुआवजा मिलता है, जिसकी तबीयत अस्पताल में इलाज के दौरान बिगड़ती थी। ये हाल सर्जरी में प्रयोग होने वाले उपकरणों पर भी लागू होता था।
मरीज की सुरक्षा सबसे पहले
सीडीएसओ के इस सुझाव से सरकार के लिए पहली प्राथमिकता मरीज के इलाज के दौरान सुरक्षा देने का है। जिस समय भी यह पता लगेगा कि संबंधित दवा या उपकरण खराब है, उसको तुरंत मार्केट से हटा लिया जाएगा। अगर मरीज ऐसी दवाई को ले भी लेता है, तो भी उसे तुरंत मुआवजा भी मिल सकेगा। इससे सरकार को भी मरीज की सुरक्षा करने में मदद मिलेगी और सिस्टम में ट्रांसपेरेंसी भी आएगी।
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