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टाइप-2 डायबिटीज एक ऐसी स्वास्थ्य स्थिति है, जो किसी भी व्यक्ति के लिए कई समस्याओं का काराण बन सकती है। डायबिटीज में व्यक्ति को अपने खान-पान का खास ख्याल रखना होता है और ऐसे में जरूरी है कि सही डाइट को फॉलो किया जाए। एक नए अध्ययन से ये पता चला है कि बाजरा खाने से टाइप 2 मधुमेह होने का खतरा कम हो जाता है और साथ ही डायबिटीज से पीड़ित लोगों को अपना ब्लड शुगर लेवल भी कंट्रोल रखने में मदद मिलती है। आइए जानते हैं क्या कहती है स्टडी।
शोधकर्ताओं के मुताबिक, इस अध्ययन को करने का विशेष कारण यही था कि इस बात का पता लगाया जा सके कि डायबिटीज और प्री डायबिटीज वाले लोगों के लिए बाजरे की डाइटकितनी उपयोगी है साथ ही जो लोग डायबिटीज से पीड़ित नहीं हैं उनके लिए भी एक सेहतमंद डाइट सुझाई जाए।
11 देशों में किए गए इस शोध को फ्रंटियर्स इन न्यूट्रिशन में प्रकाशित किया गया था, जिससे ये पता चलता है कि डायबिटीज से पीड़ित वे लोग, जिन्होंने अपनी डेली डाइट में बाजरे को शामिल किया उनके ब्लड शुगर लेवल में 12-15% (फास्टिंग और भोजन के बाद) की गिरावट देखी गई। इतना ही नहीं उनका ब्लड शुगर लेवल भी डायबिटीज से प्री-डायबिटीज की श्रेणी में आ गया।
इसके अलावा प्री-डायबिटिक लोगों में HbA1c (हीमोग्लोबिन से बंधा रक्त ग्लूकोज) का लेवल भी औसतन 17% कम हुआ और स्तर प्रीडायबिटिक से सामान्य स्थिति में चला गया। ये निष्कर्ष इस बात की पुष्टि करते हैं कि बाजरा खाने से ग्लाइसेमिक रिस्पॉन्स बेहतर हो सकता है।
इंटरनेशनल क्रॉप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर द सेमी-एरिड ट्रॉपिक्स (ICRISAT) का कहना है कि लेखकों ने करीब 80 प्रकाशित अध्ययनों की समीक्षा की, जिनमें से 65 विश्लेषण योग्य थे। इन अध्ययनों में लगभग 1,000 व्यक्तियों को शामिल किया गया था। इंटरनेशनल डायबिटीज एसोसिएशन के अनुसार, दुनिया के सभी देशों में डायबिटीज का ग्राफ बढ़ रहा है। भारत, चीन और अमेरिका में डायबिटीज से पीड़ित लोगों की संख्या सबसे अधिक है। वहीं अफ्रीका में 2019 से 2045 तक डायबिटीज रोगियों की संख्या में 143 फीसदी की वृद्धि हो सकती है जबकि मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका में ये आंकड़ा 96% और दक्षिण पूर्व एशिया में 74% तक जा सकता है।
शोधकर्ता, डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए विशेष रूप से पूरे एशिया और अफ्रीका में बाजरे के साथ-साथ अन्य प्रकार के अनाज के सेवन की सलाह दे रहे हैं।
बाजरे को डाइट का अहम हिस्सा बताने का मजबूती से समर्थन करते हुए शोधकर्ताओं का कहना है कि बाजरे का औसत ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) 52.7 है, जो पिसे हुए चावल और रिफाइंड गेहूं के मुकाबले लगभग 30% कम है। अध्ययन में उपयोग किए गए सभी 11 प्रकार के बाजरे या तो कम (<55) या सामान्य जीआई (55-69) से लैस थे। जीआई इस बात का सूचक है कि भोजन ब्लड शुगर लेवल को कितना और कितनी जल्दी बढ़ाता है।
इस अध्ययन की समीक्षा में निष्कर्ष भी सामने आया कि उबालने, पकाने और भाप देने के बाद भी (अनाज पकाने के सबसे सामान्य तरीके) बाजरे में चावल, गेहूं और मक्का की तुलना में कम जीआई रहता है।