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2050 तक 80 करोड़ से ज्यादा लोग होंगे इस बीमारी का शिकार! लांसेट की स्टडी में खुलासा किन लोगों को ज्यादा खतरा

2050 तक 80 करोड़ से ज्यादा लोग होंगे इस बीमारी का शिकार! लांसेट की स्टडी में खुलासा किन लोगों को ज्यादा खतरा
2050 तक 80 करोड़ से ज्यादा लोग होंगे इस बीमारी का शिकार! लांसेट की स्टडी में खुलासा किन लोगों को ज्यादा खतरा

शोधकर्ताओं ने 30 साल से ज्यादा के डेटा जांच कर ये आंकड़ा निकाला है, जो कि दर्शाता है कि पीठ दर्द आने वाले दिनों में एक बड़ी समस्या बन सकता है।

Written by Jitendra Gupta |Published : May 24, 2023 1:01 PM IST

मौजूदा वक्त में हर दूसरा व्यक्ति अपने रोजमर्या के जीवन में पीठ दर्द या फिर कमर दर्द की शिकायत करता है। लेकिन क्या आप जानते हैं आने वाले वर्षों में ये आंकड़ा आपको हैरान कर सकता है। जी हां, लांसेट रूमेटालॉजी जर्नल में प्रकाशित एक स्टडी के मुताबिक बढ़ती जनसंख्या और बुढ़ापा 2050 तक करीब 84 करोड़ लोगों में पीठ दर्द की वजह बन सकता है। शोधकर्ताओं ने 30 साल से ज्यादा के डेटा जांच कर ये आंकड़ा निकाला है, जो कि दर्शाता है कि पीठ दर्द आने वाले दिनों में एक बड़ी समस्या बन सकता है। इतना ही नहीं इसके ज्यादातर मामले एशिया और अफ्रीका में सबसे ज्यादा देखने को मिलेंगे।

दुनियाभर में बढ़ रहे मामले

ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी की प्रोफेसर और स्टडी की मुख्य लेखक मैनुअल फरेरा का कहना है कि हमारी समीक्षा दुनियाभर में लोअर बैक पैन के बढ़ते मामलों पर प्रकाश डालती है, जो कि आने वाले दिनों में हेल्थकेयर सिस्टम पर एक बड़ा बोझ साबित हो सकता है।

उन्होंने एक बयान में कहा कि हमें एक राष्ट्रीय और नियत सोच स्थापित करने की जरूरत है ताकि लोअर बैक पैन को प्रबंधित किया जा सके और इसके पीछे रिसर्च होनी जरूरी है।

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50 करोड़ से ज्यादा लोग शिकार

स्टडी में पाया गया कि 2017 से लोअफ बैकन पैन के मामलों की संख्या 50 करोड़ से ज्यादा को पार कर चुकी है और 2020 में करीब 61.9 करोड़ लोग बैक पैन की समस्या का शिकार थे। बता दें कि बैकपैन से जुड़ी विकलांगता के करीब एक तिहाई मामले आपके व्यवसाय, धूम्रपान और जरूरत से ज्यादा वजन होने से जुड़े हुए हैं। हालांकि एक बहुत बड़ी भ्रांति है कि लोअर बैक पैन के ज्यादातर मामले कामकाजी लोगों से जुड़े हुए हैं।

महिलाओं में ज्यादा समस्या

हालांकि शोधकर्ताओं का कहना है कि ये स्टडी इस बात की पुष्टि करता है कि लोअर बैक पैनज्यादातकर बुढ़ापे की उम्र में होता है। वहीं लोअर बैक पैन की समस्या पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में ज्यादा होती है।

204 देशों से लिए गए आंकड़ें

इस स्टडी में ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज (जीबीडी) के 1990 से 2020 के डेटा का विश्लेषण किया गया है। ये डेटा 204 देशों से लिया गया है, जहां बैक पैन के मामले समय दर समय तेजी से बढ़े हैं। जीबीडी देशों, समय और उम्र के साथ मृत्युदर और विकलांगता का एक व्यापक अध्ययन है।

लोअर बैक पैन पर ध्यान देने की जरूरत

ग्लोबल एलांयस फॉर मस्कुलोस्केलेटल हेल्थ के सह-अध्यक्ष और प्रोफेसर एंथनी वॉल्फ का कहना है कि स्वास्थ्य क्षेत्र को लोअर बैक पैन के इस महत्वपूर्ण और बढ़ते मामलों पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है, जिससे दुनियाभर में लोग प्रभावित हो रहे हैं। संस्थान ने इन बढ़ते मामलों को हल करने की प्राथमिकता पर जोर दिया है।

वॉल्फ का कहना है कि लोअर बैक पैन की रोकथाम केल लिए बहुत कुछ किए जाने की जरूरत है और समय से देखभाल जरूरी है क्योंकि दर्द में लोगों की मदद करने के कई प्रभावी तरीके हैं।

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