Spinal Muscular Atrophy: कर्नाटक हाई कोर्ट ने दुर्लभ बीमारी स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (टाइप 1) से पीड़ित एक 17 महीने के बच्चे के इलाज के संबंध में दखल दिया है। हाई कोर्ट ने इस बच्चे के इलाज के लिए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। हाई कोर्ट द्वारा इस बच्चे के इ्लाज में देरी के कारणों के स्पष्टीकरण भी मांगा गया है।
बता दें कि बच्चे के पिता नवीन ने बच्चे के इलाज से जुड़ी एक याचिका दायर की थी। जिसके बाद न्यायमूर्ति कृष्णा एस. दीक्षित की अध्यक्षता वाली पीठ ने सोमवार को मामले की सुनवाई की। याचिका के हवाले से नवीन के वकील ने कहा कि, यह 17 महीने का बच्चा अनुवांशिक बीमारी से पीड़ित है। इस बीमारी का इलाज भारत में उपलब्ध नहीं है और इसकी वैक्सीन को अमेरिका से आयात करने की आवश्यकता है।
याचिकाकर्ता के वकील की तरफ से यह भी कहा गया कि इस बीमारी के उपचार में कुल 16 करोड़ रुपये तक खर्च आने की संभावना है और अब तक क्राउडफंडिंग के माध्यम से 8 करोड़ रुपये जमा किए जा चुके हैं। बच्चे का इलाज जल्द से जल्द शुरू करने की ज़रूरत है। क्योंकि, डॉक्टरों के अनुसार, मरीज के जन्म से 24 महीनों के भीतर अगर बच्चे का इलाज करवाया नहीं जाता तो यह घातक साबित हो सकता है। अपनी अपील में याचिकाकर्ता ने निवेदन किया है कि इलाज के लिए कम पड़ रही धनराशि उपलब्ध कराने के लिए सरकार को निर्देश दिए जाएं। केंद्र के वकील ने समझाया कि दुर्लभ से दुर्लभ बीमारियों के इलाज के लिए एक अलग नीति है और चिकित्सा विशेषज्ञों को इस पर फैसला करना होगा।
दलीलें सुनने के बाद पीठ ने कहा कि चूंकि यह बच्चे के जीवन का सवाल है, इसलिए केंद्र सरकार को इस मामले पर जल्द से जल्द अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए और मामले को 1 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दिया। इस संबंध में अदालत ने केंद्र सरकार को नोटिस भी जारी किया।
एक्सपर्ट्स के अनुसार,स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (एसएमए) एक अनुवांशिक और दुर्लभ बीमारी है, जो पीड़ित व्यक्ति की नसों और मांसपेशियों को प्रभावित करती है। इस बीमारी में मांसपेशियां तेज़ी से कमज़ोर होने लगती हैं जो आगे चलकर पीड़ित व्यक्ति के लिए बहुत घातक साबित होती है। आमतौर यह बीमारी शिशुओं और बच्चों में अधिक पायी जाती है उन्हें गम्भीर रूप से प्रभावित भी करती है।
(आईएएनएस)
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