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आज एल्बिनिज्म अवेयरनेस डे है। यह हर साल 13 जून को मनाया जाता है। हमारी त्वचा में एक तत्व है मेलानिन। जो हमारी त्वचा का रंग निर्धारित करता है। क्या इस एक रंग की वजह से किसी व्यक्ति को सामाजिक, आर्थिक, नैतिक भेदभाव का सामना करना पड़े ? यह किसी भी सभ्य समाज की पहचान नहीं हो सकती। इस बीमारी को एल्बिनिज्म अथवा धवलता रोग कहा जाता है। इससे ग्रस्त व्यक्ति को कई तरह की स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में हम सब की जिम्मेदारी है कि हम उसके साथ खड़े रहें और उनकी हिम्मत बढ़ाएं। इसी लक्ष्य के साथ आज दुनिया भर में एल्बिनिज्म अवेयरनेस डे मनाया जा रहा है।
18 दिसंबर 2014 को, संयुक्तम राष्ट्रल महासभा ने संकल्प की घोषणा की। जिससे 13 जून 2015 से हर साल दुनिया भर में अंतर्राष्ट्रीय अल्बिनिज़म जागरूकता दिवस मनाया जाने लगा। इस संकल्प का सीधा अर्थ था कि अब हमें दुनिया भर में इस बीमारी से पीडि़त लोगों के हक में खड़ा होना है। और उनके खिलाफ हमलों और भेदभाव को रोकना है।
शरीर की त्वचा का रंग पूरी तरह सफेद हो जाना एक आनुवांशिक बीमारी है। हमारी त्वचा की कोशिकाओं में मेलनिन नाम का हार्मोन होता है। ठंडे इलाकों में रहने वाले लोगों में मेलनिन कम होता है, इस वजह से वहां के लोगों की त्वचा उतनी ही सफेद होती है। भूमध्य रेखा के करीब के क्षेत्रों में गर्मी ज्यादा होती है। वहां के लोगों की त्वचा में ये हार्मोन ज्यादा होता है, इसके चलते उनकी त्वचा काली हो जाती है। यही हार्मोन जब शरीर में बनना बंद हो जाता है तो एल्बिनिज्म बीमारी हो जाती है। यह धीरे-धीरे करके पूरे शरीर की त्वचा का रंग बदल देती है।
[caption id="attachment_671763" align="alignnone" width="655"] इस बीमारी से जूझ रहे लोगों को समाज में हिकारत की नजर से देखा जाता है। जिसकी वजह से इनकी जिदगी और ज्यादा कष्टप्रद हो जाती है।[/caption]
इसे एल्बिनिज्म या धवलता रोग कहते हैं। इसके कारण आंखों की रोशनी चली जाती है। त्वचा के कैंसर का भी खतरा रहता है। इसका इलाज अभी तक नहीं खोजा जा सका है, मगर ये बीमारी छुआछूत से नहीं फैलती। इस बीमारी से जूझ रहे लोगों को समाज में हिकारत की नजर से देखा जाता है। जिसकी वजह से इनकी जिदगी और ज्यादा कष्टप्रद हो जाती है।
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समाज में अभी भी यही अवधारणा है कि धवलता रोग छुआछूत से फैलता है। इस वजह से इस बीमारी से जूझ रहे शख्स से दूसरे क्या, उसके करीबी भी दूरी बना लेते हैं। इन्हें हिकारत की नजर से देखा जाता है। और तो और इनके घरों में शादी ब्याह में भी अड़चनें आने लगती हैं। हां ये आनुवांशिक बीमारी है, मगर जरूरी नहीं कि परिवार में जन्म लेने वाले हर शख्स को हो ही जाए। इसलिए इस बीमारी से परेशान लोगों का हौसला बढ़ाएं न कि उनसे दूरियां।
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"स्टिल स्टेंडिंग स्ट्रॉन्ग" इस साल के अंतर्राष्ट्रीय अल्बिनिज़म जागरूकता दिवस का विषय है। यह दुनिया भर में ऐल्बिनिज़म वाले व्यक्तियों के साथ एकजुटता को पहचानने, जश्न मनाने और खड़े होने और उनका समर्थन करने का एक अवसर है। हमें उनकी उपलब्धियों और सफलताओं को प्रोत्सारहित करते हुए उन्हेंो बिना किसी भेदभाव के समान अवसर उपलब्ध करवाने के लिए खड़ा होना है। अलग-अलग देशों में अल्बिनिज्म से पीडित लोगों को कई तरह के सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और अन्यद भेदभावों का सामना करना पड़ता है। हमें इन सबको दूर कर उनके मानवधिकार के लिए खड़ा होना है।