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हाल के एक रिसर्च से ये पता चला है कि प्रेगनेंसी के दौरान एस्पिरीन लेने से भविष्य में सेरेब्रल पाल्सी डिज़ीज होने का खतरा दोगुना बढ़ जाता है। सेलिब्रल पाल्सी एक ऐसा न्युरोलॉजिकल डिसऑडर है जिसके लक्षण शिशु अवस्था से ही उसमें विकसित होने लगता है और बाद में धीरे-धीरे वह अपनी बोलने, शरीर को गतिशिल रखने, पॉश्चर, दृष्टि और सीखने की क्षमता खोने लगता है।
अध्य्यन से ये साबित हुआ है कि जिन महिलाओं में प्रेगनेंसी के हालत में एस्पिरीन लिया है उनके बच्चों में इस बीमारी के होने का ढ़ाई गुना ज्यादा खतरा होता है। यहां तक कि ठीक होने के आसार भी कम होते हैं। इस दवाई का असर शरीर के एक भाग में 30 प्रतिशत और दूसरे भाग में 50 प्रतिशत तक होने का खतरा होता है। डेली मेल के रिपोर्ट के अनुसार इबूप्रोफेन के असर कुछ कम होता है या बिल्कुल नहीं होता है।
सबसे बड़ा खतरा तो तब होता है जब प्रेगनेंसी के मध्य स्थिति यानि मिडल स्टेज में पेनकिलर लिया जाता है। इस समय शिशु के मस्तिष्क के विकसित होने का समय होता है और इस दवा का असर सीधे वहां पर पड़ता है।
असल में पैरासिटामोल और एस्पिरीन मस्तिष्क के असर करके उसको पूरी तरह से उसके फंक्शन को बरबाद कर देता है। या मां के हार्मोन के नॉर्मल लेबल को प्रभावित करके ब्रेन के विकास के कार्यप्रणाली को बाधित करता है।
यूनिवर्सिटी ऑफ कॉपनहेगन इन डेनमार्क के अनुसंधानकारियों ने सचेत किया है कि प्रेगनेंसी के दौरान महिलाएं ये दवा खाने से एहतियात बरतें। यहां तक कि इंटरनैशनल जर्नल ऑफ एपिडियोमॉलोजी में प्रकाशित जर्नल के अनुसार ऐसी दवा के सेवन से 1,85,617 मां और उनके बच्चे प्रभावित हो चुके है। 5000 महिलाओं ने एस्पिरीन लिया है और उतने ही महिलाओं ने इबुप्रोफेन लिया। लगभग 90000 महिलाएं हॉस्पिटल में पैरासिटामोल लेने के कारण भर्ती हुई।
टीम ने ये पाया कि 357 बेबी में ब्रेन से संबंधित समस्या देखने को मिली जिनके मांओं ने प्रेगनेंसी के दौरान एस्पिरीन लिया था। उन बच्चों के दोनो ओर इस बीमारी के होने का खतरा ज्यादा हो सकता है।
सौजन्य: IANS Hindi
चित्र स्रोत: Shutterstock