लांसेट कमीशन ने वर्ष 2017 में दर्द से राहत और पैलिएटिव केयर के लिए पाया कि दुनिया भर में 6.1 करोड़ लोगों को स्वास्थ्य से संबंधित गंभीर पीड़ा (एसएचएस) से गुजरना पड़ता है और इन्हें पैलिएटिव केयर की आवश्यकता होती है। इनमें से कम से कम 1 करोड़ लोग भारत में हैं। लेकिन देश में केवल 1 से 2 प्रतिशत लोगों को ही ऐसी देखभाल या दर्द प्रबंधन की सुविधा मिल पाती है। हालांकि पैलिएटिव केयर के लिए एक राष्ट्रीय कार्यक्रम है लेकिन मेडिकल के छात्रों को पाठ्यक्रम में दर्द प्रबंधन नहीं सिखाया जाता है। पैलिएटिव केयर का उद्देश्य