हवा में प्रदूषण का स्तर यदि अधिक बढ़ा तो इससे गर्भ में पलने वाले बच्चे भी हो सकते हैं प्रभावित।© Shutterstock
इन दिनों सुबह के समय ही वातावरण में हल्का स्मॉग नजर आने लगा है। इस वक्त तो मुंह-नाक पर कपड़ा बांधकर निकला जा रहा है, लेकिन अगर यह विगत वर्षों की तरह और बढ़ गया तो यह सेहत के लिए भी घातक हो सकता है। पड़ोसी राज्यों से पराली जलाए जाने की खबरें आने लगी हैं।
ये हो सकता है नुकसान
जहरीली वायु के संपर्क में आने पर फेफड़े, रक्त, संवहनी तंत्र, मस्तिष्क, हृदय और यहां तक कि प्रजनन प्रणाली भी प्रभावित हो सकती है। एक अध्ययन के अनुसार, वायु प्रदूषण के कारण पूरे देश में पांच लाख अकाल मौतें हो चुकी हैं।
यह भी पढ़ें - जल्द ही दिल्ली पर हो सकता है प्रदूषण का घातक हमला
गर्भस्थ शिशु को भी हो सकता है नुकसान
प्रदूषण का स्तर अगर अधिक बढ़ जाए तो इससे गर्भ में पल रहे शिशु भी प्रभावित हो सकते हैं। एक सामान्य वयस्क आराम करते समय प्रति मिनट छह लीटर वायु श्वास में लेता है, जबकि शारीरिक गतिविधि के दौरान यह मात्रा 20 लीटर बढ़ जाती है। वर्तमान में प्रदूषण के खतरनाक स्तर को देखते हुए, यह केवल फेफड़ों में विषाक्त पदार्थो की मात्रा में वृद्धि ही करेगा। यद्यपि हरेक को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि व्यायाम वाला स्थान सड़कों, निर्माण स्थलों और धुआं छोड़ने वाले उद्योगों से कम से कम 200 मीटर दूर हो।
यह भी पढ़ें - बुरी नहीं है सुबह की धूप, बस पंद्रह मिनट बैठकर देखिए
जहरीली है हवा
विभिन्न अध्ययनों में यह बात भी सामने आई है कि भारत में वायु प्रदूषण के कारण प्रतिदिन औसतन दो लोग मारे जाते हैं। मेडिकल पत्रिका द लांसेट में कहा गया कि जलवायु परिवर्तन ‘मानवीय स्वास्थ्य पर तो भारी खतरा पैदा करता ही है’ साथ ही साथ यदि सही कदम उठाए जाएं तो वह ‘21वीं सदी का सबसे बड़ा वैश्विक स्वास्थ्य अवसर भी है।’
Follow us on