ब्रिटेन में यूनिवर्सिटी ऑफ लीड्स में वैज्ञानिकों ने एक रिसर्च करने के लिए स्टडी की जिसमें यह खुलासा हुआ कि अगर आप टाइप 2 डायबिटीज के मरीन हैं तो आपको अपने ब्लड का फैट ज्यादा नहीं बढ़ने देना चाहिए नहीं तो डायबिटीज और अधिक गंभीर हो सकती है और इसमें आपकी शारीरिक सेहत को काफी ज्यादा नुकसान पहुंच सकता है। ब्लड में फैट लेवल बढ़ने के कारण मसल के सेल्स में स्ट्रेस बढ़ जाती है जिससे सेल्स का स्ट्रक्चर बदल जाता है। ऐसा होने के कारण सेल फंक्शन पर प्रभाव पड़ता है।
इस स्टडी में पाया गया कि स्ट्रेस्ड सेल्स से एक सिग्नल निकलता है जो दूसरी सेल्स तक पहुंच सकता है। इन सिग्नल्स को सेरामाइड कहा जाता है। कुछ समय के लिए यह प्रोटेक्टिव फंक्शन करने में भी लाभदायक होते है क्योंकि यह सेल्स का तनाव कम करते हैं। अगर डायबिटीज जैसी बीमारी के मरीज हैं तो ये सिग्नल सेल्स को पूरी तरह से नष्ट कर सकते हैं जिससे मरीज की दशा काफी खराब हो सकती है।
अगर ब्लड में फैट की मात्रा अधिक बढ़ जाती है तो इससे दिल की बीमारियों और डायबिटीज जैसी बीमारियों का खतरा काफी ज्यादा बढ़ जाता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक ऐसा होने का कारण मोटापा होता है। यह रोग मोटापा बढ़ने के साथ साथ और अधिक बढ़ते जा रहे है।
रिसर्चर और वैज्ञानिकों के मुताबिक वैसे तो यह स्टडी अपने पहले चरण में ही है लेकिन यह डायबिटीज और दिल के मरीजों के रिस्क में रहने वाले लोगों के लिए एक चेतावनी बन सकती है और उनकी काफी मदद कर सकती है। इस स्टडी से हमें पता चलता है कि कैसे मोटे लोगों की सेल्स स्ट्रैस्ड रहती हैं। मोटापा कम करना डायबिटीज और दिल की बीमारियों जैसे रोगों से बचने के लिए काफी जरूरी होता है।
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