डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जो कि धीमी जहर के समान पूरे शरीर को खा जाती है। ये ना सिर्फ पेट, दिल, पेंनक्रियाज और नसों को प्रभावित करती है बल्कि ये आपकी नींद मानसिक सेहत को भी प्रभावित कर सकती है। ये हम नहीं बल्कि हाल ही में आई स्टडी कहती है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH) के अनुसार, लगभग 18 मिलियन लोगों को स्लीप एपनिया है, जिसमें 80 प्रतिशत तक लोग डायबिटीज के मरीज हैं। दरअसल, डायबिटीज के मरीजों में स्लीप एपनिया आम समस्या बन गई है। कैसे, जानते हैं।
डायबिटीज की समस्या में शरीर इंसुलिन का प्रभावी ढंग से इस्तेमाल नहीं कर पाता है। यह खून में ज्यादा शुगर बनने का कारण बनता है। इसकी शुरुआत फास्टिंग ब्लड शुगर लेवल से ही होती है। यानी कि अगर बिना खाए ब्लड शुगर 126 mg/dL से ऊपर रहता है तो इससे आपकी नींद प्रभावित होगी। इससे क्रोनिक ब्लड प्रेशर भी बढ़ता है जिससे नसों में बेचैनी रहती है और नींद प्रभावित होने लगती है। इसी के कारण कुछ लोगों को सुबह-सुबह सिर दर्द हो सकता है। साथ ही लोग हाई बीपी और बढ़े हुए स्ट्रेस लेवल का शिकार हो सकते हैं।
नींद ब्लड शुगर लेवल को प्रभावित करती है। दरअसल, नींद की कमीसे कोर्टिसोल बढ़ता है जो कि ग्लूकोज को बढ़ाता है। नींद की कमी से इंसुलिन संवेदनशीलता कम हो जाती है और ग्लूकोज पर प्रभाव पड़ता है। इंसुलिन कोर्टिसोल के स्तर को प्रभावित करता है, दोनों ही नींद की कमी का कारण बन सकता है। ग्लूकोज को प्रभावित करने से ऑक्सीडेटिव तनाव और सूजन बढ़ जाती है। नींद की कमी से सी-रिएक्टिव प्रोटीन बढ़ जाता है और ग्लूकोज को प्रभावित कर सकता है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डायबिटीज एंड डाइजेस्टिव एंड किडनी डिजीज के अनुसार, नींद के दौरान लो ब्लड शुगर बुरे सपने,नींद के दौरान रोना या चिल्लाना, अत्यधिक पसीना आना और जागने पर चिड़चिड़ापन या उलझन महसूस करवा सकता है।
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