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फैमिली प्लानिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया के एक्सपर्ट्स के मुताबिक अगर किसी पुरुष या महिला को हाइपरटेंशन की समस्या है तो इससे आपकी रिप्रोडक्टिव सेहत प्रभावित होती है। इस ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक हाइपरटेंशन को साइलेंट किलर कहा जाता है क्योंकि इसे पहचानने के लिए आपको शुरू में कोई अलग या खास लक्षण दिखने को नहीं मिलते हैं। उन्होंने आगे कहा की कोविड 19 के मरीजों की स्थिति को हाइपरटेंशन और अधिक गंभीर बना देता है।
हाइपरटेंशन को आम तौर पर हाई ब्लड प्रेशर भी कहा जाता है और यह एक गंभीर स्थिति होती है जो 1.13 बिलियन लोगों को प्रभावित कर रही है और यह मृत्यु का भी एक लीडिंग कारण माना जाता है। भारत में 30% लोग हाइपर टेंशन के मरीज हैं और बहुत से लोगों को इस स्थिति के बारे में पता भी नहीं है की वह इस बीमारी से पीड़ित हैं।
भारत सरकार 2025 तक हाइपरटेंशन को 25% कम करने की तैयारी कर रही है। इसका मतलब है की अगले 4 सालों में 4.5 करोड़ हाइपरटेंशन के मरीजों को सरकार द्वारा ठीक किया जाना है.
हृदय रोगों और स्ट्रोक विश्व भर में मृत्यु के नंबर वन कारण माने जा रहे हैं और साल भर में इन बीमारियों के कारण 17.7 मिलियन मृत्यु हो रही है। इन मृत्यु में भारत पांचवें नंबर पर आता है।
हाइपरटेंशन के बारे में कम जागरूक होना और इसके बारे में अधिक जानकारी न होने के कारण भी लोग इसे गंभीरता से नहीं लेते हैं जिस कारण यह बीमारी बढ़ रही है और कुछ लोगों को इस स्थिति के बारे में पता ही नही होता है की उन्हें यौ गंभीर बीमारी है इसलिए वह इसका उपचार नहीं करवा पाते हैं और उनकी मृत्यु हो जाती है।
एक्सपर्ट्स के मुताबिक 35 से 65 वर्ष के लोगों के हैल्थ चेक अप को बढ़ावा देना चाहिए ताकि इसे पहले ही डिटेक्ट किया जा सके और उपचार लेने में कोई देरी न हो सके। जब तक महिलाओं को इस स्थिति के बारे में पता चलता है तब तक उनकी रिप्रोडक्टिव हेल्थ बहुत रूप से प्रभावित हो जाती है।
15 से 49 साल की महिलाओं के आयु वर्ग में हर 5 में से एक महिला इस स्थिति का शिकार है। और इससे उनकी रिप्रोडक्टिव हेल्थ भी बहुत गंभीर रूप से प्रभावित हो रही है। इसलिए इस लड़ाई में हम सब को सरकार के साथ मिल कर साथ देना चाहिए और विजय पानी चाहिए।