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आयुर्वेद को मान्यता प्रदान कराने के लिए प्रतिबद्धता ज़रूरी: मोदी

आयुर्वेद को मान्यता प्रदान कराने के लिए प्रतिबद्धता ज़रूरी: मोदी

Written by Agencies |Updated : July 24, 2015 11:45 AM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आयुर्वेद एवं भारतीय चिकित्सा प्रणालियों से जुड़े चिकित्सकों को अपनी चिकित्सा विधि के प्रति विश्वास और समर्पण पैदा करने का आह्वान करते हुए कहा कि आयुर्वेद को वैश्विक मान्यता एवं प्रतिष्ठा प्रदान करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन चलाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इस बात की कोशिश होनी चाहिए कि अंतर्राष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं में 10 से 20 प्रतिशत स्थान आयुर्वेद को मिले।

नई दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित छठी विश्व आयुर्वेद कांग्रेस एवं आयुर्वेद एक्सपो के समापन सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि मौजूदा समय में आयुर्वेद एवं प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धतियों की समृद्ध विरासत एवं संपदा का आधुनिक शब्दावलियों में पेश करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद को वैश्विक मान्यता प्रदान कराने के लिए आयुर्वेद के चिकित्सकों एवं इससे जुड़े लोगों को एक आंदोलन चलाना होगा। मोदी ने कहा कि यह अनिवार्य किया जाना चाहिए कि हर आयुर्वेद चिकित्सा शोध और अनुसंधान के आधार पर आधुनिक शब्दावलियों में शोध पत्र तैयार करें और उन्हें अंतर्राष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं में प्रकाशित कराएं। अगर ऐसा हुआ तो विश्व का ध्यान आयुर्वेद एवं भारतीय चिकित्सा की तरफ जाएगा तथा आयुर्वेद को अंतर्राश्ट्रीय मान्यता एवं प्रतिष्ठा मिलेगी।

उन्होंने कहा कि इस बात की कोशिश होनी चाहिए कि अंतर्राष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं में 10 से 20 प्रतिशत स्थान आयुर्वेद को मिले। प्रधानमंत्री ने कहा कि आयुर्वेद को बढ़ावा देने एवं लोकप्रिय बनाने के लिये जरूरी है कि उसकी पैकेजिंग को बदली जाए और आयुर्वेदिक दवाइयों एवं उत्पादों को सुगमता के साथ इस्तेमाल किए जाने वाले स्वरूपों में लोगांे को उपलब्ध कराया जाए। उन्होंने कहा कि आज आयुर्वेदिक औषधियां बनाने वाली अनेक कंपनियां आयुर्वेदिक उत्पादों को एलोपैथिक दवाइयांे की तरह आकर्षक पैकेजिंग में तथा सुगमता के साथ इस्तेमाल किए जाने वाली रेडीमेड दवाइयों के रूप में उपलब्ध करा रही हैं जो स्वागतयोग्य है।

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प्रधानमंत्री ने कहा कि आयुर्वेदिक शोधकतरओ, आयुर्वेदिक चिकित्सकों तथा आयुर्वेदिक औषधियां बनाने वाली कंपनियों के बीच बेहतर समन्वय होना चाहिए, ताकि अधिक से अधिक लाभकारी दवाइयों का विकास हो सके। उन्होंने आयुर्वेद के छात्रों एवं चिकित्सकों को अपने पेशे को व्यवसाय की तरह नहीं, बल्कि समर्पण एवं समाज सेवा की तरह लेने की अपील करते हुए कहा कि आयुर्वेद में ताकत है लेकिन आयुर्वेद से जुड़े लोगों, चिकित्सकों एवं छात्रों को भी आयुर्वेद के प्रति पूर्ण भरोसा पैदा करने की जरूरत है और अगर ऐसा हो गया तो आयुर्वेद की ताकत चारगुनी हो जाएगी। उन्होंने विश्वास दिलाया कि आज जिस तरह से योग को दुनियाभर में प्रतिष्ठा मिली है, उसी तरह एक दिन आयुर्वेद को दुनियाभर में प्रतिष्ठा मिलेगी।

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि आयुर्वेद को शीर्ष स्थान पर लाया जा सकता है और सरकार इसके लिए हर संभव प्रयास करेगी। चार दिन के विश्व आयुर्वेद कांग्रेस एवं आयुर्वेद एक्सपो का आयोजन स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत कार्यरत आयुष विभाग की ओर से दिल्ली सरकार एवं विश्व आयुर्वेद फाउंडेशन के सहयोग से आयोजित किया गया। पढ़े:  आयुर्वेद प्रचार बढ़ाने हेतु विश्व आयुर्वेद कांग्रेस का आयोजन

स्रोत: IANS Hindi

चित्र स्रोत: Getty images


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