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युवतियों और अधेड़ उम्र की तरफ बढ़ रहीं महिलाओं में अपने पुरुष साथियों की अपेक्षा अधिक तनाव रहता है, जिसके कारण दिल का दौरा पड़ने पर उनके इससे उबरने की संभावनाएं कम हो जाती हैं। एक ताजा अध्ययन में यह बात सामने आई है। येल विश्वविद्यालय के सहायक एवं अध्ययन के लेखक प्राध्यापक जियाओ शू ने कहा, 'महिलाओं में साथी पुरुषों की अपेक्षा तनाव अधिक रहता है, जो परिवार और अन्य कार्यो में उनकी भूमिकाओं में भिन्नता के कारण हो सकता है।'
अनुसंधानकर्ताओं ने अस्पताल में भर्ती होने के शुरुआती दिनों में प्रत्येक मरीज द्वारा महसूस किए गए मानसिक तनाव का अध्ययन किया। इसके लिए उन्होंने एक अध्ययन 'वीआईआरजीओ' में दिए आंकड़ों का इस्तेमाल किया।
'वीआईआरजीओ' अध्ययन में अमेरिका के 103, स्पेन के 24 और आस्ट्रेलिया के तीन अस्पतलाओं में 18 से 55 आयुवर्ग के मरीजों का 2008 से 2012 के बीच अध्ययन किया गया। शोध में शामिल प्रतिभागियों से पूछा गया कि पिछले एक महीने उनका जीवन कितना अप्रत्याशित, अनियंत्रित और काम की अधिकता वाला रहा। वित्तीय संकट से जूझ रहीं महिलाओं के साथ अक्सर पाया गया कि उन पर अपने बच्चों या नाती-पोतों का भी भार रहता है।
वीआईआरजीओ अध्ययन के मुख्य लेखक हरलान क्रमहोल्ज ने कहा, 'यह अध्ययन इस मामले में विशिष्ट है कि इसमें युवतियों पर ध्यान केंद्रित किया गया है तथा जोखिम का पता लगाने वाले पारंपरिक तरीकों से हटकर अध्ययन किया गया है। अध्ययन में यह पता लगाने की कोशिश की गई है कि लोगों के जीवन से जुड़े पहलू उनके उपचार के तरीकों को कैसे प्रभावित करते हैं।'
शू ने कहा, 'मरीजों में सकारात्मक प्रवृत्ति विकसित करने और तनावपूर्ण परिस्थितियों से निकलने के लिए कौशल पैदा करने में मदद करने से न सिर्फ उनके मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है बल्कि दिल का दौरा पड़ने पर उससे उबरने में भी मददगार होता है।'
यह अध्ययन शोध-पत्रिका 'सर्कुलेशन' के ताजा अंक में प्रकाशित हुई है।
स्रोत: IANS Hindi
चित्र स्रोत: Getty images
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