भारत को स्वास्थ्य समस्या पर ध्यान देने के लिए अतिरिक्त सामान्य चिकित्सकों (फिजिशियन) की जरूरत है, वहीं विशेषज्ञ मानते हैं कि देश में एबीबीएस से ज्यादा विशेष चिकित्सक मौजूद हैं। मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के कार्डियोलोजी विभाग के नरेश गुप्ता कहते है कि इस देश में औसतन हर वर्ष 50,000 एमबीबीएस चिकित्सक तैयार होते हैं, जिनमें से 30,000 विशिष्ट और अति-विशिष्ट डिग्री की तरफ रुख करते हैं। उन्होंने कहा कि अन्य देशों की अपेक्षा भारत में विशेषज्ञ चिकित्सकों की संख्या अधिक है। गुप्ता ने कहा कि 398 मेडिकल कॉलेजों में विशेषज्ञ चिकित्सक तैयार होते हैं।
गुप्ता ने यह बात मंगलवार शाम स्पेशियलाइजेश एंड सुपर-स्पेशियलाइजेशन इन मेडिसिन-द मोर द मेरियर' के दौरान कही, जिसका आयोजन कंज्युमर इंडिया ने इंडिया इंटरनेशनल सेंटर के सहयोग से किया था। उन्होंने कहा, 'हमारे पास स्वास्थ्य सेवा का नेटवर्क अच्छा है, लेकिन इसकी कार्य प्रणाली उतनी मजबूत नहीं है। सरकारी नौकरी होने की वजह से प्राथमिक चिकित्सा केंद्र के पद के लिए विशेषज्ञ चिकित्सक भी आवेदन देते हैं, जो कि मरीज और चिकित्सक दोनों के लिए ठीक नहीं है।' गुप्ता ने कहा, 'हमारी कई समस्या सिर्फ फिजिशियन या फिर इससे निचले स्तर के चिकित्सक ठीक कर सकते हैं।' उन्होंने कहा कि भारतीयों में होने वाले बड़े रोग के अध्ययन में देखा गया है कि डायरिया आम रोग है। 'इसका इलाज फिजिशियन आसानी से कर सकते हैं।' लेकिन भारत में बेहद कम एमबीबीएस चिकित्सक सिर्फ फिजिशियन बने रहना चाहते हैं। सरीन इंस्टीट्युट ऑफ लीवर एंड बिलियरी साइंसेज के लीवर विशेषज्ञ एस.के.सरीन कहते हैं कि देश में आज अच्छे फिजिशियन की संख्या ज्यादा नहीं है। उन्होंने कहा, 'विशेषज्ञ काफी काम करते हैं, जो कि आम फिजिशियन भी कर सकते हैं।'
स्रोत: IANS Hindi
चित्र स्रोत: Getty images
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