युवावस्था में लोग बिना सोचे समझे जो लाइफ स्टाइल जीते हैं उसका पूरा असर उसके वयस्क जीवन पर पड़ता है। यानि युवावस्था में अपनी सेहत का ध्यान न रखने से उसके होने वाले नुकसानों को नजरअंदाज कर देते हैं। जब हम बूढ़े हो जाते हैं तो हमें बहुत सारी सेहत से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। उस वक्त हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो जाती है। कई बार हम यह भी सोचते हैं कि एक बार वैक्सीन लेना काफी है। लेकिन जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है इस वैक्सीनेशन का असर कम होने लगता है।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के महासचिव डा. के.के. अग्रवाल कहते हैं कि उम्र बढ़ने के साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती जाती है। इस वजह से युवाओं के मुकाबले बड़ी उम्र वालों में बीमारियों का खतरा अधिक होता है। हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, मधुमेह या ऑब्स्ट्रक्टिव प्लमनरी डिसीज कुछ ऐसी बीमारियां हैं, जो आम तौर पर लोगों की जीवनशैली से जुड़ी होती हैं। उम्र बढ़ने के साथ ये अधिक खतरनाक और जानलेवा भी हो सकती हैं।
वैसे आमतौर पर होने वाली बीमारियां फ्लू, हैपेटाइटिस ए, हैपेटाइटिस बी होती हैं। इन हालतों को देखते हुए कुछ वैक्सीन 65 साल की उम्र के बाद देना जरूरी हो जाती हैं। बच्चों को चाहिए कि वे सुनिश्चित करें कि उनके अभिभावक यह वैक्सीन लें, ताकि वे लंबी और सेहतमंद जिंदगी जी सकें।
वैक्सीनेशन करवाते वक्त इन बातों का ध्यान रखें :
* फ्लू वैक्सीन छह महीने या उससे बड़े सभी व्यक्तियों को दी जाती है।
* निमूनिया वैक्सीन 65 साल या उससे ज्यादा उम्र के लोगों को दी जानी चाहिए।
* टेटनस टॉक्साइड हर 10 साल बाद देते रहना चाहिए।
* चाहे किसी को पहले हरप्ज जोस्टर हुआ हो या नहीं, 60 साल की उम्र में इसे जरूर लगवा लेना चाहिए। याद रखें इस वैक्सीनेशन की शुरुआत 60 साल की उम्र से होती है।
* अगर पहले न लगी हो तो सभी को हैपेटाइटस बी वैक्सीन देनी चाहिए।
* 60 साल या उससे ज्यादा उम्र वाले जितने भी लोगों को डायबिटीज है, उन्हें हैपेटाइटिस बी देना चाहिए। आगे चल कर ब्लड ग्लूकोज की मॉनीटरिंग की अधिक आवश्यकता के लिए यह वैक्सीन लगवाने की सलाह दी जाती है।
* जिन लोगों को क्रॉनिक लीवर डिसीज है, उन्हें भी हैपेटाइटिस बी वैक्सीन देना चाहिए।
बदकिस्मती से आज भी वरिष्ठ नागरिक की 50 प्रतिशत आबादी को इस वैक्सीनेशन और इसे न लगवाने पर होने वाले नुकसानों के बारे में जानकारी नहीं है। यह वैक्सीन हर साल होने वाली जानलेवा बीमारियों से बचाने में बेहद मदद करती है। उचित जानकारी और थोड़ी सी जिम्मेदारी से बड़ी उम्र के लोगों की सेहत को होने वाले नुकसान और अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत कम हो सकती है। पढ़े- बढ़ती उम्र के इन 8 लक्षणों को भूलकर भी न करें नज़रअंदाज़
स्रोत: IANS Hindi
चित्र स्रोत: Shutter Stock
Follow us on