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इबोला के कहर ने वैसे तो अफ़्रीका में तांडव मचा रखा है, मगर इसका प्रभाव पूरी दुनिया पर पड़ रही है। सोचने की बात यह है कि, इसका कोई सटीक इलाज नहीं है। सिर्फ लक्षणों का उपचार किया जाता है। कोई टिकाकरण का भी आविष्कार नहीं हुआ है।
भारत अभी भी इस रोग के कब्ज़े में नहीं आया है। लेकिन गाँव में जहाँ गरीब लोग रहते हैं, उनमें इस रोग के फैलने का खतरा बना हुआ है। हाल ही में डी.एम.पेटीट अस्पताल वसाई, विरार में 31 वर्षीय पुरूष के इबोला ग्रस्त होने का खबर मिला था। मगर हमने जब सच्चाई का पता लगाने के लिए डॉ अनुपमा राणे से बात की तो उन्होंने कहा कि मुम्बई में इबोला के मामले की कोई पुष्टि नहीं मिली है। अस्पताल में जिन्हें भर्ती किया गया था, वे नाइजेरिया से अपने रिश्तेदारों से मिलने आये थे। उनको दस्त और उल्टी हो रही थी। इबोला के जाँच के निर्देशन के अनुसार उनमें कोई भी लक्षण नहीं पाया गया, इसलिए उन्हें घर जाने दिया गया।
अफ़़ीका से आने वाले सभी यात्रियों के स्वास्थ्य की नियमित जाँच की जा रही है।इसलिए डरने की कोई बात नहीं है। डॉ. राणे के अनुसार इबोला संबंधित सारी जानकारियाँ आपको सतेज और सतर्क रहने के लिए दी जा रही हैं। इन समाचारों से आप डरे नहीं बल्कि सर्तक और सावधान रहें।
चित्र स्रोत: Getty Images
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