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सिर और गर्दन के कैंसर से बचना चाहते हैं तो दांतो की साफ सफाई का रखे ध्यान

सिर और गर्दन के कैंसर से बचना चाहते हैं तो दांतो की साफ सफाई का रखे ध्यान

क्या आप जानते हैं कि हमारे दांतो की आप साफ-सफाई कितनी जरुरी है, क्योंकि हाल में हुए एक शोध में पाया गया है कि दांतो को स्वस्थ रखकर आप सिर और गर्दन के कैंसर के खतरे को कम कर सकते हैं।

Written by TheHealthSite Web Desk |Updated : September 22, 2023 4:01 PM IST

Dental health : जो लोग अपने दांतो का रखते हैं खास ध्यान और दांतो की रखते पूरी साफ-सफाई और दांत जिनके साफ-सुधरे होते हैं, उन लोगों को सिर और गर्दन के कैंसर का खतरा कम होता है, ये हाल ही में हुए कई देशों के शोधकर्ताओं ने मिलकर एक अध्ययन किया, जिसमें ये पाया गया, जिन लोगों के दांत साफ-सुधरे और एकदम स्वस्थ थे, उनमें सिर और गर्दन के कैंसर होने का खतरा काफी कम होता है। खासकर उन लोगों में जो नियमित रूप से दांतो का चेकप कराते हैं और चिकित्सा के पास जाते हैं। उनके लोगों के शरीर में कैंसर के लक्षणों को जल्दी पहचाना जा सकता है. इससे और साथ ही उनका इलाज समय रहते और जल्दी किया जा सकता है, इसके अतिरिक्त जिन लोगों के दांत बिल्कुल खराब हो रहे थे और जो लोग दांतो के लिए चिकित्सा के पास नहीं जाते हैं इन लोगों को ज्यादा खतरा होता है और इनके कैंसर के लक्षण को पहचाने में भी देर लगती है। इंटरनेशनल हेड एंड नेक कैंसर एपिडेमियोलाजी (आईएनएचएएनसीई) कंसोर्टियम द्वारा किया गया यह शोध नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के जर्नल में प्रकाशित हुआ।

क्यों बढ़ रहे हैं कैंसर के मामले

सिर और गर्दन के कैंसर का हाल ही के वर्षो में उपचार होने के बावजूद यह देशभर में 6वां सबसे आम कैंसर है। इसका सबसे बड़ा कारण धम्रपान और तंबाकू का सेवन है, साथ ही शराब का सेवन भी इसका खतरे को ओर ज्यादा बढ़ाता है, साथ ही इतना उपचार और बचाव के बाद भी अमेरिका में इसके हर साल लगभग 67,000 नए मामले सामने आते हैं। इस शोध में ये पाया गया है कि दांतों और मुंह की सफाई पर ध्यान देकर कैंसर के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

जानें क्या कहता है शोध

इस अध्ययन में जो सिर और गर्दन के कैंसर के मरीज है उनका डेटा इकट्ठा किया गया और इसमें दांत ब्रश करने की आवृत्ति, मसूड़ों से खून आने, माउथवॉश का उपयोग और साथ ही पिछले 10 वर्षों में दंत चिकित्सक के पास जाने की जानकारी इक्कठ्ठा की गई, जिसमें ये पाया जो लोग नियमित रुप से चिकित्सा के पास गया है और जिनके दांत एकदम स्वस्थ थे उनके अंदर इसके लक्षण कम पाएं गए और उनमें जो लोग बिल्कुल चिकित्सा के पास नहीं गए उनके अंदर इसके लक्षण को पहचानना मुश्किल हुआ।

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