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Home / Hindi / Health News / फोर्टिस ने किया पलवल में पहली न्यूरोसाइंस ओपीडी का उद्घाटन, न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर का इलाज होगा आसान

फोर्टिस ने किया पलवल में पहली न्यूरोसाइंस ओपीडी का उद्घाटन, न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर का इलाज होगा आसान

अपेक्स हॉस्पिटल, पलवल में हर महीने के दूसरे रविवार को ओपीडी सुविधाएं उपलब्ध होंगी।

By: Anshumala   | Edited by: Anshumala   | | Published: August 12, 2019 6:33 pm
Tags: Fortis healthcare  Health News in Hindi  Neurological disorders  UP  
neurological disorders treatment in palwal by fortis in hindi
फोर्टिस ने पलवल में अपनी पहली न्यूरोसाइंस ओपीडी का शुभारंभ किया।

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पश्चिमी उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में नवीनतम सुविधाएं प्रदान करने में अग्रणी फोर्टिस हॉस्पिटल (फरीदाबाद) ने आज अपेक्स हॉस्पिटल में अपने पहले न्यूरोसाइंस ओपीडी का उद्घाटन कर पलवल में अपनी स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार किया। इसका उद्देश्य पलवल और उसके आसपास के क्षेत्रों के निवासियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराना है। ओपीडी महीने में दूसरे रविवार को आयोजित की जाएगी ताकि पलवल और उसके आसपास के मरीजों को सुपर विशेषज्ञों से इलाज कराने में आसानी हो। इससे रोगियों और उनके देखभाल करने वालों दोनों में न्यूरोसाइंस से संबंधित समस्याओं के इलाज के लिए शहर से बाहर जाने में आश्चर्यजनक रूप से कमी आएगी। Also Read - यूपी में सरकारी नौकरी छोड़ने पर डॉक्टरों पर लगेगा 1 करोड़ रुपए का जुर्माना, जानिए क्‍या है योगी सरकार का प्‍लान



पलवल और अन्य टियर 2 और टियर 3 शहरों में इस तरह की ओपीडी सेवाओं को उपलब्ध कराने का मुख्य उद्देश्य उन लोगों के लिए सबसे अच्छी स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार करना है, जिनके पास बेहतर इलाज के लिए बड़े शहर जाने का आसान विकल्प नहीं है। फोर्टिस हॉस्पिटल, फरीदाबाद के अत्यधिक अनुभवी और योग्य डॉक्टरों ने पहले से ही अपना कीर्तिमान स्थापित किया है और अब बेहतर स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के लिए समाज सेवा की ओर कदम बढ़ा रहे हैं। Also Read - घर की बनी हॉट चॉकलेट (hot chocolate ) आपको बना सकती है जवानी में स्मार्ट, स्टडी में जानें इसका कारण

फोर्टिस हॉस्पिटल के न्यूरो सर्जरी निदेशक डॉ. रोहित गुप्ता ने यहां उपस्थित लोगों को संबोधित किया और टियर 3 शहरों में लोगों में तीव्र स्ट्रोक, पुराना माइग्रेन, मिर्गी, दिमागी बीमारी और पीडी सहित न्यूरोलॉजिकल बीमारियों की बढ़ती घटनाओं पर प्रकाश डाला।

डॉक्टर रोहित गुप्ता ने बताया कि, ‘‘न्यूरोलॉजिकल विकारों के लक्षणों के बारे में जागरूकता और समय पर हस्तक्षेप के महत्व को जनता के बीच अधिक प्रमुख बनाया जाना चाहिए। उपचार में देरी विशेष रूप से स्ट्रोक के मामलों में, एक तिहाई से अधिक पीड़ितों को जिंदगीभर इस समस्या से जूझना पड़ता है और 1 साल के अंतर्गत 25 % से अधिक पीड़ितों को अपनी जान गंवानी पड़ती है। गंभीर स्ट्रोक से पीड़ित रोगियों को जल्द से जल्द अस्पताल पहुंचाने की आवश्यकता होती है, जिससे वे थ्रोम्बोलाइटिक चिकित्सा का लाभ उठा सकें। 50 % से अधिक मामलों में यह प्रक्रिया मरीज को ठीक करने में सहायक होती है।’’

न्यूरोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया के आंकड़ों के अनुसार, ग्रामीण आबादी में मिर्गी, स्ट्रोक, पार्किंसंस रोग और कंपन सहित सामान्य न्यूरोलॉजिकल विकारों की घटना दर अधिक है। मिर्गी से पीड़ित 60 लाख से अधिक लोगों के साथ, स्ट्रोक की उच्च घातक दर (लगभग 35%), ग्रामीण क्षेत्रों में न्युरोलॉजी सेवाओं की उपलब्धता की तत्काल मांग को पूरा करना जरूरी है।

डॉक्टर गुप्ता ने आगे बताया कि, “धूम्रपान, सिस्टोलिक उच्च रक्तचाप, उच्च उपवास रक्त ग्लूकोज स्तर, और कम हाई डेन्सिटी लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल जैसी विभिन्न न्यूरोलॉजिकल समस्याएं कम उम्र में हो रही हैं। जागरूकता की कमी, लिटरेसी रेट में कमी और खराब प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल सेवाएँ प्रमुख कारक हैं। स्ट्रोक के उपचार के लिए थ्रोम्बोलिसिस थेरेपी की उपलब्धता के साथ न्यूरोसाइंस में प्रगति, पुराने माइग्रेन के इलाज के लिए बोटॉक्स थेरेपी, पार्किंसंस रोग के इलाज के लिए डीप ब्रेन स्टिमुलेशन, आदि ने ऐसी किसी भी स्थिति का इलाज संभव बना दिया है जिससे पीड़ित के जीवन में सुधार हुआ है।”

फोर्टिस हॉस्पिटल, फरीदाबाद के वीपी और जोनल हेड डॉक्टर ने कहा, ‘‘यह निराशाजनक है कि हम में से अधिकांश लोग समस्या के मूल कारण की पहचान और उन्मूलन की बजाय दर्द को जीवन का सामान्य हिस्सा मानकर इसे स्वीकार कर लेते हैं। पीठ या गर्दन के दर्द को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। दर्द का जल्द इलाज कराने पर बहुत कम समय में ही दर्द और दर्द के मूल कारण का समाधान किया जा सकता है और इससे पूरी तरह से राहत मिल सकती है। समस्या की जल्द पहचान और उचित इलाज से सर्जरी के जोखिम से बचा जा सकता है, जिससे व्यक्ति को पीठ दर्द और रीढ़ की हड्डी की समस्याओं के बिना बेहतर जीवन जीने में मदद मिलती है।

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