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अब तक आपने ब्रेन सर्जरी के बारे में तो खूब सुना होगा। यह सर्जरी किसी भी उम्र के लोगों को कभी भी करानी पड़ सकती है। लेकिन क्या आपने कभी ये सुना है, कि दुनिया में आने से पहले ही, यानी की मां के गर्भ में ही बच्चे की डॉक्टर्स ने ब्रेन सर्जरी की हो। अगर नहीं सुना, तो ये खबर आपको हैरान कर देगी, जिस पर आपको विश्वास नहीं होगा।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अमेरिकी डॉक्टरों की एक टीम ने ब्रेन के अंदर एक दुर्लभ गैलेन मालफार्मेशन जैसी डिजीज से एक बच्चे की जान बचाई है। दरअसल इस बच्चे की ब्रेन सर्जरी उसके पैदा होने से पहले ही, यानी कि गर्भ के अंदर ही की गई। एक्सपर्ट्स की मानें तो ब्रेन की इस दुर्लभ स्थिति को वीनस ऑफ गैलेन मालफॉर्मेशन के रूप में जाना जाता है। इस स्थिति में दिमाग में नस से जुड़ी परेशानी का सबब बन जाती है। जिसकी वजह से तुरंत जन्म लेने के बाद हार्ट अटैक से मरने के चांसेस बढ़ जाते हैं। ऐसा तब होता है, जब ब्रेन से हार्ट तक ब्लड को ले जाने वाली नस में दिक्कत हो जाती है।
हालांकि इसके खतरे को देखते हुए आमतौर पर बच्चों का इलाज उनके पैदा होने के बाद किया जाता है। ऐसे में ब्लड फ्लो और ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने के लिए छोटे कॉइल डालने के लिए कैथेटर का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन उसका ऑपरेशन करने में काफी टाइम लग जाता है।
गर्भ में बच्चे की ब्रेन सर्जरी बोस्टन चिल्ड्रन हॉस्पिटल में की गयी है। डॉक्टरों के मुताबिक बच्चे का ऑपरेशन करना बेहद जरूरी था। वरना पैदा होते ही उसकी मौत हो जाती। बोस्टन चिल्ड्रेन हॉस्पिटल के रेडियोलॉजिस्ट और वीओजीएम एक्सपर्ट कहते हैं कि, ब्रेन की गंभीर चोटों की वजह से जन्म के तुरंत बाद ही हार्ट अटैक से मौत होने के चांसेस बढ़ जाते हैं।
ऐसे ही बच्चे हैं, जो किसी ना किसी तरह की ब्रेन डिसीज से जूझते रहते हैं। जिस बच्चे का ऑपरेशन किया गया है, उस ऑपरेशन से पहले अल्ट्रासाउंड करने पर डॉक्टर्स को उसके ब्रेन में ब्लड वेसल्स से जुड़ी परेशानी पकड़ में आई। 34 हफ्ते की प्रेगनेंसी में ऑपरेशन करने में लगभग दस डॉक्टर्स की टीम थी। अल्ट्रासोनोग्राफी के जरिये डॉक्टरों ने एक लंबी सुई मां के गर्भ तक पहुंचाई और फिर इस सर्जरी को अंजाम दिया।
बोस्टन चिल्ड्रेन हॉस्पिटल के डॉक्टर का कहना है कि, बच्चा पिछले छह हफ्ते से एकदम हेल्दी है। उसे किसी भी तरह की कोई भी दवा नहीं दी जा रही है। उसका वजन बढ़ रहा है और ऐसे कोई भी इंडिकेशन नहीं मिल रहे हैं, जिससे उसके ब्रेन में कुछ नेगेटिविटी को समझा जाए। रिपोर्ट्स के मुताबिक ब्रिटेन में हर साल लगभग 10 से 12 बच्चे इस तरह की डिजीज के साथ जन्म लेते हैं। जिसके कुछ दिनों बाद ही उनकी मौत हो जाती है।
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