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पिता के निकोटीन सेवन से बच्चों में संज्ञानात्मक जोखिम संभव : अध्ययन

पिता के निकोटीन सेवन से बच्चों में संज्ञानात्मक जोखिम संभव : अध्ययन
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अध्ययन में पाया गया कि निकोटीन लेने के बावजूद हालांकि पिता में सामान्य व्यवहार होता है, लेकिन उसके बेटे और बेटियों में इसके कारण हाइपरएक्टिविटी, अटेंशन डेफिसिट और कॉगनिटिव इनफ्लेक्सिविटी जैसी संज्ञानात्मक गड़बड़ियां हो सकती हैं।

Written by Editorial Team |Updated : October 21, 2018 7:28 AM IST

महिलाओं को लंबे समय से गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान के खतरों की चेतावनी दी जाती रही है, लेकिन निकोटीन से पुरुषों के भी संपर्क में आने से उनके बच्चों और पोते/पोतियों में संज्ञानात्मक गड़बड़ियां हो सकती हैं।

चूहों पर किए गए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने यह निष्कर्ष निकाला है, जिसमें एक भारतीय मूल का वैज्ञानिक भी शामिल है। इस अध्ययन में पाया गया कि निकोटीन लेने के बावजूद हालांकि पिता में सामान्य व्यवहार होता है, लेकिन उसके बेटे और बेटियों में इसके कारण हाइपरएक्टिविटी, अटेंशन डेफिसिट और कॉगनिटिव इनफ्लेक्सिविटी जैसी संज्ञानात्मक गड़बड़ियां हो सकती हैं।

अमेरिका के फ्लोरिडा स्टेट यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर प्रदीप भीडे ने बताया, "डॉक्टर पुरुषों को चेतावनी नहीं देते हैं कि उनके धूम्रपान करने से अजन्मे बच्चे को नुकसान हो रहा है। यह नुकसान तब भी होता है, जब उनकी मां बिल्कुल भी धूम्रपान नहीं करती हो। मेरा मानना है कि हमारा अध्ययन इसे सामने लाता है।"

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भीडे ने कहा, "हमारे आंकड़ों से पता चलता है कि आज की पीढ़ी के बच्चों और बड़ों में जो संज्ञानात्मक बीमारियां पाई जाती हैं, उनका कारण एक-दो पीढ़ी पहले निकोटीन का अत्यधिक संपर्क हो सकता है।"