मन की बात कार्यक्रम की 46वीं कड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तनाव के उस प्रकार पर बात की जो हमारे युवा और स्कूल-कॉलेजों में पढ़ने वाले बच्चों को महसूस होता है।
प्रधानमंत्री ने एक कॉलर सत्यम के एक सवाल के जवाब में इस विषय पर कुछ टिप्स दीं।
प्रधानमंत्री ने बताया कि मॉनसून का मौसम जिस तरह किसानो के लिए महत्वपूर्ण है उसी तरह यह समय कॉलेज स्टुडेंट्स के लिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसी समय कॉलेज सीजन की शुरुआत होती है। बहुत से बच्चे स्कूल की पढ़ाई खत्म कर, बोर्ड एक्ज़ाम और उसके रिजल्ट का स्ट्रेस झेलकर कॉलेज जीवन की शुरुआत करते हैं। अचानक से बच्चे अपने मां-बाप की छत्रछाया से निकलकर एक ऐसी दुनिया में प्रवेश करते हैं जहां उन्हें मानसिक और बौद्धिक स्तर पर खुद को पॉलिश करना पड़ता है। अलग-अलग बैकग्राउंड के बच्चे कॉलेज में एक साथ पढ़ते हैं। उनकी स्कूली शिक्षा, रहन-सहन के अलावा उनके साथ हर स्तर में प्रतिस्पर्धा करनी पड़ती है। तो वहीं कई बच्चे अपने व्यवहार से जुड़ी कुछ बातों की वजह से लोगों से ठीक तरह से घुल-मिल नहीं पाते, दूसरे स्टुडेंट्स से बात नहीं कर पाते और ना ही प्रोफेसर्स से सवाल पूछ पाते हैं। इन सबका असर उनकी पढ़ाई और व्यक्तित्व पर पड़ता है। कई स्टुडेंट इस नये माहौल से उत्पन्न तनाव को झेल नहीं पाते और लगातार निराशा, स्ट्रेस या डिप्रेशन महसूस करते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसे सभी युवाओं को संदेश दिया कि,
साथ ही स्टुंडेट्स का हौसला बढ़ाने के लिए उन्होंने कवि गोपालदास नीरज की कुछ पंक्तियां भी दोहरायीं
‘गीत आकाश को धरती का सुनाना है मुझे,
हर अँधेरे को उजाले में बुलाना है मुझे,
फूल की गंध से तलवार को सर करना है,
और गा-गा के पहाड़ों को जगाना है मुझे’
चित्रस्रोत: Shutterstock.
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