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दिल्ली के अस्पताल में डॉक्टरों ने एक मरीज की किडनी बाईं ओर से निकाल कर दाईं ओर लगा दी। इसके बाद मरीज ठीक है और नॉर्मल जिंदगी जी रहा है। ऐसा अजूबा दिल्ली के एक बड़े अस्पताल में देखने को मिला है जहां डॉक्टर ने मरीज को ऑटो किडनी ट्रांसप्लांट करके जानलेवा जैसी काफी कठिन स्थिति से बाहर निकाला है। इस सर्जरी के दौरान मरीज की एक किडनी को निकाल कर उसी की दूसरी साइड लगा दिया गया। यह मरीज पेशाब की नली में हुई पथरी से जूझ रहा था। यह सामने आया है कि इस सर्जरी के बाद मरीज पूरी तरह से ठीक हो गया है और नॉर्मल जिंदगी जी रहा है।
इस सर्जरी से पहले मरीज की 25cm पेशाब की नली भी नहीं थी और उसे भी डॉक्टरों ने तैयार किया। इस केस के सर्जन डॉक्टर विपिन त्यागी का कहना है की व्यक्ति के शरीर में दोनों तरफ एक-एक किडनी होती है और इनको यूरिन की थैली से दो नालियां जोड़ती हैं जिसे युरेटर कहा जाता है। इस केस में मरीज की बाई ओर की किडनी यूरेटर के बिना ही पाई गई थी।
सर गंगाराम अस्पताल के डॉक्टर हर्ष जौहरी जोकि डिपार्टमेंट ऑफ रिन ट्रांसप्लांट के चेयरमैन हैं, ने बताया कि किडनी ट्रांसप्लांट तीन तरह के होते हैं। यह तीन प्रकार हैं : ऑटो ट्रांसप्लांट, एलो ट्रांसप्लांट और जेनो ट्रांसप्लांट। ऑटो ट्रांसप्लांट का मतलब होता है मरीज के शरीर के एक हिस्से के ऑर्गन को ही उसके दूसरे हिस्से में लगाना।
एलो ट्रांसप्लांट में किसी अन्य व्यक्ति का ऑर्गन दूसरे व्यक्ति के शरीर में लगाना शामिल होता है और जेनो ट्रांसप्लांट में ऐसे स्रोत से ऑर्गन ट्रांसप्लांट करना जो गैर मानव है। डॉक्टरों के इस अच्छे प्रयास के लिए उन्हें हर तरफ से वाह वाही मिल रही है। डॉक्टर भी इस सफलता से काफी खुश हैं।
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