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Device Addiction: कोरोना वायरस महामारी के दौरान बच्चे घरों से बाहर नहीं जा पा रहे हैं। स्कूल कॉलेज बंद होने की वजह से बच्चे अपना पूरा दिन घर में ही बिताते हैं। ऐसे में, मोबाइल फोन, टीवी और वीडियो गेम्स जैसी चीज़ें उनके मनोरंजन के काम आ रही हैं। वहीं, कई स्कूलों ने ऑनलाइन क्लासेस शुरू कर बच्चों की पढ़ाई भी करवा दी है। जिससे, बच्चे कम्प्यूटर के सामने पहले से अधिक समय बिता रहे हैं। अब एक सर्वे में पता चला है कि बच्चों को लॉकडाउन के दौरान इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की लत लग गयी है।
इस रिसर्च के अनुसार, हाल के महीनों में लगभग 65 प्रतिशत बच्चों को डिवाइस (मोबाइल, कंप्यूटर आदि) की ऐसी लत लग गई है कि वे इससे आधा घंटे के लिए भी दूर नहीं रह पा रहे हैं। डिवाइस को छोड़ने के लिए कहने पर बच्चे गुस्सा हो रहे हैं, रोना शुरू कर देते हैं और वे माता-पिता की बात नहीं सुन रहे हैं। डिवाइस न मिलने पर बच्चों का व्यवहार चिड़चिड़ा हो रहा है। जयपुर के जे. के. लोन अस्पताल में चिकित्सकों द्वारा बाल स्वास्थ्य पर कोविड-19 लॉकडाउन के प्रभाव का अध्ययन करने के लिए किए गए एक सर्वेक्षण में ये तथ्य सामने आए हैं। इस सर्वे में 203 बच्चों पर अध्ययन किया गया।
सर्वेक्षण में कहा गया है कि कुल 65.2 प्रतिशत छात्रों ने शारीरिक समस्याओं के बारे में बताया है, 23.40 प्रतिशत का वजन बढ़ गया, 26.90 प्रतिशत ने सिरदर्द/चिड़चिड़ापन का सामना किया है और 22.40 प्रतिशत छात्रों ने आंखों में दर्द और खुजली के बारे में जानकारी दी है।
सर्वे में यह सामने आया है कि लॉकडाउन के दिनों में हाई स्क्रीन एक्सपोजर वाले 70.70 प्रतिशत छात्रों को व्यवहार संबंधी समस्याएं आई हैं। इसके अलावा 23.90 प्रतिशत ने अपनी दैनिक दिनचर्या को ही छोड़ दिया है, 20.90 प्रतिशत लापरवाह हो गए, 36.80 प्रतिशत जिद्दी हो गए और 17.40 प्रतिशत ने ध्यान कम लगने के बारे में बताया।
अध्ययन की परिकल्पना बाल रोग विभाग के चिकित्सा अधीक्षक और वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. अशोक गुप्ता ने की। उनके निर्देशन में डॉ. रमेश चौधरी, डॉ. धनराज बागड़ी, डॉ. कमलेश अग्रवाल, डॉ. विवेक अठवानी और डॉ. अनिल शर्मा द्वारा यह अध्ययन किया गया।
कोविड-19 महामारी के कारण प्रचलित लॉकडाउन के मद्देनजर, अध्ययन के लिए इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफार्मों और सोशल मीडिया पर डेटा एकत्र किया गया और डेटा एकत्र करने के लिए नवीनतम और मानक प्रश्नावली का उपयोग किया गया। सहमति प्राप्त करने के बाद, अभिभावकों को प्रश्नावली भेजी गई।
राजस्थान के प्रमुख शहरों जैसे जयपुर, जोधपुर, कोटा, उदयपुर, अजमेर, गंगानगर, भीलवाड़ा, सीकर, चुरू, अलवर, हनुमानगढ़, नागौर, भरतपुर में लगभग 55 प्रतिशत लड़कों और 45 प्रतिशत लड़कियों से संबंधित और साथ ही राजस्थान के बाहर के शहरों जैसे दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, कोलकाता, मुंबई, आगरा, लखनऊ, चंडीगढ़ से जानकारी जुटाई गई है।
सर्वेक्षण में कहा गया है कि बच्चे घर पर उपलब्ध मोबाइल, लैपटॉप, कंप्यूटर और टैबलेट का इस्तेमाल करते हैं, जिसमें मोबाइल सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला उपकरण है। अधिकांश स्कूल औसतन प्रतिदिन एक से आठ घंटे (मतलब तीन घंटे) ऑनलाइन कक्षाओं में बच्चों को व्यस्त रखते हैं।