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हाइपरटेंशन एक गंभीर समस्या है, जिसके परिणामस्वरूप हार्ट अटैक, स्ट्रोक जैसी गंभीर स्वास्थ्य स्थितियां सामने आ सकती हैं। ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में वर्ष 2016 16.3 लाख लोगों ने हाई ब्लडप्रेशर के कारण अपनी जान गंवाई थी। हाई ब्लड प्रेशर, जिसे सामान्य भाषा में हाइपरटेंशन भी कहते हैं स्ट्रोक और हृदय रोग जैसी अन्य चिकित्सा समस्याओं के लिए आपके जोखिम को बढ़ाता है, जो महिलाओं और पुरुषों दोनों में मृत्यु का एक प्रमुख कारण है।
हम सभी जानते हैं कि अधिक वजन होना, शारीरिक गतिविधियों की कमी और खराब आहार व जीवनशैली कुछ ऐसे कारक हैं, जो हाई ब्लड प्रेशर के जोखिम को बढ़ाते हैं। एक नए अध्ययन में ये पाया गया कि आपकी वैवाहिक स्थिति भी इस समस्या से जुड़ी हुई है।
जर्नल ऑफ हाइपरटेंशन में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन के मुताबिक, वैज्ञानिकों ने कनाडा में रहने वाले 45 से 85 वर्ष के 28,238 लोगों से प्राप्त आंकड़ों का विश्लेषण किया। इन सभी में पुरुष और महिलाएं शामिल थी। ये सभी लोग एजिंग पर चल रहे एक अध्ययन में भाग ले रहे थे। इस डेटा का उपयोग ये पता लगाने के लिए किया गया कि क्या लिंग (जेंडर ) द्वारा वैवाहिक स्थिति, रहने की व्यवस्था, सामाजिक जुड़ाव और सामाजिक भागीदारी का हाइपरटेंशन के बीच कोई संबंध है या फिर नहीं।
अध्ययन में ये पाया गया कि महिलाओं पर वैवाहिक स्थिति का प्रभाव हाई ब्लड प्रेशर के जोखिम को बढ़ा देता है। अध्ययन के मुताबिक, अकेली रहने वाली महिलाएं या फिर कुंवारी महिलाएं में विवाहित महिलाओं की तुलना में हाई ब्लड प्रेशर का जोखिम 28 प्रतिशत अधिक है। वहीं तलाकशुदा महिलाओं में ये खतरा 21 प्रतिशत जबकि विधवा महिलाओं में हाई ब्लड प्रेशर का खतरा 33 प्रतिशत अधिक होता है।
अध्ययन में यह पाया गया कि जब भी बात हाई ब्लड प्रेशर की आती है तो पुरुषों को वास्तव में अकेले रहने से फायदा होता है। अध्ययन के मुताबिक, अकेले रहने वाले पुरुषों में शादीशुदा पुरुषों की तुलना में हाई ब्लड प्रेशर का खतरा कम होता है।
अध्ययन के मुताबिक, वहीं कम दोस्त होने के कारण भी महिलाओं में हाई ब्लड प्रेशर का खतरा बढ़ जाता है। जिन महिलाओं के दोस्त कम होते हैं उनमें हाई ब्लड प्रेशर की संभावना 15 प्रतिशत अधिक पाई गई।
अध्ययन में यह पाया गया कि सामाजिक संबंध महिलाओं के लिए बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण होते हैं जबकि पुरुषों के लिए जोखिम स्तर पर इसका प्रभाव बहुत कम होता है। अध्ययन में ये भी पाया गया कि भले ही आपका सामाजिक नेटवर्क कितना बड़ा हो या फिर कितनी ही सामाजिक गतिविधियों में लगे हुए हो इसका हाई ब्लड प्रेशर से कोई खास महत्वपूर्ण संबंध नहीं है।