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Covid-19 cases in India: कोरोना वायरस महामारी ने भारत में 23 लाख से अधिक लोगों को अपना शिकार बनाया है। इसी बीच, एम्स यानि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIM) के निदेशक और भारत के प्रमुख चिकित्सा विशेषज्ञों में शुमार डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि भारत में में कोविड-19 के मामले अभी तक अपने चरम नहीं पहुंचे हैं। (Coronavirus in India)
गौरतलब है कि डॉ.गुलेरिया (Dr. Randeep Guleria) का बयान ऐसे समय में आया है, जब देश में रोज़ाना 50 के आसपास नये मामले सामने आ रहे हैं। भारत में कोविड-19 का पहला मामला 30 जनवरी 2020 को सामने आया था। बुधवार को जारी आंकड़ों के अनुसार भारत में अब कोविड-19 के कुल 23 लाख से अधिक केसेस का पता लगाया जा सका है। तो वहीं, इस वायरल इंफेक्शन की वजह से अब 46,000 से अधिक लोगों की मृत्यु हो चुकी है।
डॉ. गुलेरिया कोरोना वायरस महामारी पर बारीकी से नज़र रखने वाली एक कोर टीम में शामिल हैं। डॉ.गुलेरिया ने कहा, मौजूदा वक़्त परीक्षा लेने वाला और चुनौती से भरा है, लेकिन, भारत में अभी भी कोविड-19 इंफेक्शन अपने चरम पर नहीं पहुंचा है।
कोविड-19 इंफेक्शन की वैक्सीन विकसित होने के बारे में उन्होंने कहा कि, वैक्सीन बनी तो भारत को इससे काफी फायदा होगा, क्योंकि दुनिया के लगभग 60 प्रतिशत वैक्सीन या टीके भारत में ही बनते हैं। उन्होंने आगे कहा, "हम बड़ी तादाद में वैक्सीन बनाने में सक्षम हैं। साथ ही, भारत सरकार और दवा निर्माता कम्पनियों ने जो प्रतिबद्धता दिखाई है, उससे यह स्पष्ट होता है कि हम ना केवल अपने लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए दवाइयां या टीके बना पाएगा।"
भारत में तीन वैक्सीन उम्मीदवार मानव नैदानिक (ह्यूमन क्लीनिकल) परीक्षणों के विभिन्न चरणों में हैं। पहला पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया व ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा, दूसरा भारत बायोटेक द्वारा और तीसरा जायडस कैडिला द्वारा परीक्षण किया जा रहा है।
देश के शीर्ष पल्मोनोलॉजिस्ट ने कहा कि विभिन्न देशों के बीच सहयोगात्मक कार्य के कारण वैक्सीन बनाने की प्रक्रिया इतनी तेजी से आगे बढ़ी है। गुलेरिया ने कहा कि महामारी ने शोधकतार्ओं, निमार्ता और उद्योग को हमारे सामने आने वाली किसी भी कठिनाई को दूर करने के एक साथ आने पर मजबूर किया है।