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Covid-19 and Air Pollution: कोविड-19 संक्रमण के सर्दियों में बढ़ने की आशंका वैज्ञानिक पहले ही जता चुके हैं। ऐसे में सर्दियों में होने वाला वायु प्रदूषण कोरोना महामारी को और गम्भीर बनाने का काम कर सकता है। कोरोना वायरस से जुड़े जो रिसर्च और स्टडीज़ अब तक सामने आयी हैं उनमें अभी तक निर्णायक तरीके से इस बात की पुष्टि नहीं की जा सकी है कि, वायु प्रदूषण और कोरोना वायरस के बीच कोई संबंध है। लेकिन, यह दावे ज़रूर किए जा रहे हैं कि लम्बे समय तक प्रदूषित हवा में सांस लेने वाले लोगों में फेफड़ों के जुड़े इंफेक्शन्स का खतरा अधिक बढ़ जाता है। गौरतलब है कि कोरोना वायरस कमज़ोर फेफड़ों और श्वसन तंत्र पर सबसे पहले हमला करता है। ऐसे में वायु प्रदूषण के कारण संक्रमण बढ़ने का डर भी पैदा हो गया है। (Covid-19 and Air Pollution Impact)
सितंबर महीने में अमेरिका में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में एक रिसर्च की गयी। जिसमें, शोधकर्ताओंने पाया कि पीएम (कणिका तत्व) 2.5 में अगर मामूली और एक माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की भी बढ़ोतरी होती है तो इससे, कोविड-19 के मरीज़ों में मृत्यु का ख़तरा 8 फीसदी तक बढ़ सकता है। (Covid-19 and Air Pollution in hindi)
गौरतलब है कि सर्दियों के मौसम के साथ उत्तर भारत, खासकर दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण बहुत अधिक बढ़ जाता है। पीएम 2.5 इस वायु प्रदूषण को बढ़ाने का काम करता है। यह प्रदूषक जब हवा में घुलता है तो हवा में धुंधलापन यानि (Smog) बढ़ने लगता है। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के रिसर्च टीम का हिस्सा और वैज्ञानिक शिआओ वू का कहना है कि, पिछले कुछ दिनों में दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में पीएम 2.5 लेवल बहुत अधिक बढ़ गया है। जिससे, दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में कोरोना वायरस के मामलों में इज़ाफे की वजह बन सकता है। हालांकि, यह केवल एक अनुमान है और इससे जुड़े हुई ज्यादा तथ्यात्मक जानकारी उपलब्ध नहीं हुई है।
इन एक्सपर्ट्स की राय है कि लम्बे समय तक प्रदूषित हवा के सम्पर्क में आने से फेफड़ों को नुकसान पहुंचता है। जिससे, फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों का खतरा भी बढ़ता है।