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Covid-19 Super Spreaders: कोरोना वायरस महामारी की तीसरी लहर ने पूरी दुनिया को धीरे-धीरे अपनी चपेट में लेना शुरु कर दिया है। कई देशों में लॉकडाउन लगा दिया गया है तो, कहीं तेज़ी से मरीज़ों की संख्या में बेतहाशा बढ़ोतरी हो रही है। दूसरी तरह इस वायरस के बारे में लगातार शोध किए जा रहे हैं। ऐसी ही एक ताज़ा रिसर्च में यह बात सामने आयी है कि कोरोना वायरस संक्रमण किस तरह से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फैलता है। साथ ही वैज्ञानिकों ने यह भी बताया कि किस तरह के लोगों से कोरोना संक्रमण तेज़ी से फैलता है।
यह रिसर्च अमेरिका की सेंट्रल फ्लोरिडा यूनिवर्सिटी (Central Florida University) के शोधकर्तारों द्वारा आयोजित की गयी। जहां, कोरोना वायरस के 'सुपर स्प्रेडर' की पहचान करने की कोशिश की गयी। वैज्ञानिक भाषा में 'सुपर स्प्रेडर' ऐसे लोगों को कहा जाता है जिनसे कोविड-19 संक्रमण बहुत तेज़ी से फैलता है। सबसे खास बात यह है कि, अक्सर इस तरह के लोगों में कोविड-19 संक्रमण होने के बावजूद लक्षण नहीं दिखायी देते हैं। इसी वजह से जब ये लोग दूसरों से मिलते-जुलते हैं तो छींक और खांसी के माध्यम से इंफेक्शन का प्रसार करते हैं।
शोध के मुताबिक, संक्रमित लोगों के दांतों की संख्या, मुंह में लार की मात्रा और अलग-अलग तरह से छींकने का तरीका यह बताता है कि इनके ड्रॉप्लेट्स हवा में कितनी दूर तक जाएंगे और इनसे अन्य लोगों को संक्रमण होने का कितना खतरा है। (Covid-19 Super Spreaders)
रिसर्च के दौरान वैज्ञानिकों ने पाया कि, ऐसे लोग जिनकी नाक साफ नहीं रहती और जिनके मुंह में दांत हैं ऐसे लोगों के मुंह से संक्रमण की बूंदें ज़्यादा निकलती हैं। क्योंकि जब छींक आती है तो दांत छींक के वेग को और बढ़ाते हैं। इससे छींक के साथ निकली छींटे बहुत दूर तक जाती हैं। रिसर्चर्स के अनुसार, इस तरह के लोगों से वायरस की खतरनाक बूंदे 60 प्रतिशत तक ज़्यादा फैलती हैं। (Covid-19 Transmission)
इसी तरह मुंह से निकलने वाला सलाइवा और लार भी छींक की बूंदों (Droplets) को फैलाती है। पतली लार से बूंदें भी छोटी होती है और अधिक समय तक हवा में मौजूद रहती हैं। (Covid-19 Spread)
वहीं, गाढ़े सलाइवा और लार से बनी बूंदें हवा में बहुत देर तक नहीं रहतीं और जल्दी ही ज़मीन पर गिरकर नष्ट हो जाती हैं। इसीलिए, ऐसे लोगों से संक्रमण का प्रसार का खतरा भी कम रहता है।