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Coronavirus: कोरोना वायरस से निपटने के लिए सरकार और डॉक्टर्स निरंतर प्रयास कर रहे हैं। इसी बीच केंद्रीय वैज्ञानिक उपकरण संगठन (सीएसआईओ) के वैज्ञानिकों ने कोविड-19 (Coronavirus) के संक्रमण को रोकने के लिए इलेक्ट्रोस्टेटिक डिसइन्फेक्शन मशीन (Electrostatic disinfection machine) विकसित किया है। बड़े पैमाने पर इस मशीन का उत्पादन करने के लिए इसकी तकनीक को भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (बीएचईएल) को सौंपा गया है।
यह इलेक्ट्रोस्टेटिक डिस्इन्फेक्शन मशीन स्थिरवैद्युतिक रूप से आवेशित अत्यंत सूक्ष्म द्रव कणों का छिड़काव कर सकती है। इस मशीन के उपयोग से संक्रमण फैलाने वाले सूक्ष्मजीवों से किसी सतह को मुक्त किया जा सकता है।
इंडिया साइंस वायर के मुताबिक, सीएसआईओ के वैज्ञानिक डॉ मनोज पटेल ने कहा, "मशीन से निकलने वाले द्रव कणों के प्रवाह की दर 110 मिलीलीटर प्रति मिनट है। हालाकि इसकी प्रवाह दर में बदलाव भी जा सकता है। दूसरी मशीनों के मुकबाले यह मशीन बेहद छोटे और समान आकार के द्रव कणों का छिड़काव करने में प्रभावी पायी गई है। छिड़काव के दौरान मशीन से निकलने वाले द्रव कणों से सतह पर किसी वायरस या संक्रमण के बचे रहने की संभावना लगभग न के बराबर रह जाती है।"
डॉक्टर पटे के मुताबिक, इस मशीन को मुख्य रूप से अस्पतालों, एयरपोर्ट, बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन जैसे सार्वजनिक स्थलों की सफाई के लिए बनाया गया था। लेकिन इसका उपयोग अब कोविड-19 के संक्रमण को दूर करने में भी किया जा सकता है।
डॉ पटेल ने कहा, "इस मशीन का उपयोग इनडोर-आउटडोर दोनों जगह सैनिटाइजेशन के लिए किया जा सकता है। यह पर्यावरण के अनुकूल है और इसका असर हानिकारक सूक्ष्मजीवों पर सामान्य से 80 प्रतिशत अधिक हो सकता है। यह तकनीक आवेशित कणों पर आधारित है। कोविड-19 से संक्रमित सतह से वायरस को हटाने में कारगर हो सकती है।"
चंडीगढ़ स्थित सीएसआईओ वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की एक प्रमुख वैज्ञानिक प्रयोगशाला है। कोविड-19 से निपटने के अपने प्रयासों को तेज करने के लिए सीएसआईआर ने हाल में बीएचईएल के अलावा दवा निमार्ता कंपनी सिप्ला और साफ्टवेयर जगत की कंपनी टीसीएस की लाइफ साइंस विंग के साथ करार किया है। इस मशीन का उत्पादन हरिद्वार स्थित बीएचईएल की प्रमुख विनिर्माण इकाई में किया जाएगा।
इस मशीन को सीएसआईआर मिशन.मोड प्रोग्राम ऑन फूड ऐंड कंज्यूमर सेफ्टी सॉल्यूशन (फोकस) के तहत विकसित किया गया है। यह मशीन करीब 50 हजार रुपये की लागत से विकसित की गई है। शोधकर्तार्ओं का कहना है कि बीएचईएल में बड़े पैमाने पर इस मशीन का उत्पादन किया जाएगा तो इसकी लागत और भी कम हो सकती है।
कोरोना वायरस का कहर दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। स्वास्थ मंत्रालय के अनुसार, पिछले 2 दिनों के अंदर कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या दोगुना बढ़ी है। इस स्थिति को देखते हुए सरकार इससे निपटने का प्रयास कर रह हैं।