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ICMR ने कहा प्लाज्मा थेरेपी का 'अंधाधुंध' इस्तेमाल ठीक नहीं, जारी की नयी गाइडलाइन्स

ICMR ने कहा प्लाज्मा थेरेपी का 'अंधाधुंध' इस्तेमाल ठीक नहीं, जारी की नयी गाइडलाइन्स

बुधवार को इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने कोविड-19 मरीजों के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी के अंधाधुंध इस्तेमाल को रोकने के लिए एक विशेष एडवायज़री जारी की। इस एडवाज़री में कहा गया है कि विशिष्ट मानदंडों को पूरा करने वाली प्लाज्मा थेरेपी को ही इज़ाज़त दी जाएगी।

Written by Sadhna Tiwari |Updated : November 19, 2020 12:52 PM IST

Plasma Therapy for Covid-19 Treatment: कोविड-19 संक्रमण के मरीज़ों के इलाज के लिए प्लाज्मा थेरेपी के इस्तेमाल से जुड़ी नयी गाइडलाइन्स जारी की गयी हैं। बुधवार को इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने कोविड-19 मरीजों के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी के अंधाधुंध इस्तेमाल को रोकने के लिए एक विशेष एडवायज़री जारी की। (Plasma Therapy  in Hindi)

मिली जानकारी के अनुसार, इस एडवाज़री में कहा गया है कि विशिष्ट मानदंडों को पूरा करने वाली प्लाज्मा थेरेपी को ही इज़ाज़त दी जाएगी। एडवाइजरी में लिखा  गया है कि , “क्लिनिकल टेस्ट्स में बेहतर नतीज़े प्राप्त होने,  संक्रमण की गंभीरता को कम करने, कोविड -19 मरीज़ों के आईसीयू या अस्पताल में भर्ती होने और मृत्यु का खतरा अधिक होने पर सीपीटी के फायदे प्लाज्मा में मौजूद विशिष्ट एंटीबॉडी की मात्रा और एकाग्रता पर निर्भर होता हैं। यह सार्स कोवि-2 वायरस SARS-CoV-2 को निष्क्रिय कर सकता है। इसीलिए अनुमान लगाया जा रहा है कि सार्स कोवि-2 के सामने विशिष्ट एंटीबॉडी की कम एकाग्रता वाले आक्षेपिक प्लाज्मा मरीज़ों के उपचार के लिहाज से कम फायदेमंद साबित हो सकते हैं।” (Plasma Therapy new guidelines)

प्लाज्मा थेरेपी के इस्तेमाल  के लिए जारी की गयी नयी गाइडलाइन्स

इस एडवायजरी में यह भी कहा गया कि,  प्लाज्मा डोनर (Plasma Donor) में कोविड-19 का सामना करने वाली एंटीबॉडीज़ की पर्याप्त एकाग्रता होनी चाहिए। हम इसी सिद्धांत के आधार पर कह रहे हैं कि प्लाज्मा थेरेपी के इस्तेमाल से पहले एंटीबॉडीज की मात्रा पर ध्यान दिया जाए। इससे, यह बात भी गौर करने वाली है कि, प्लाज्मा प्राप्त (Plasma Receiver) कर रहे कोविड-19 मरीज़ यानि रिसिवर में भी कोविड -19 के खिलाफ एंटीबॉडी की मौजूदगी से कैन्फ्यूसेंट प्लाज्मा की स्थिति ना बने। ICMR एक्सपर्ट्स ने कहा है कि

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  • कोविड-19 इंफेक्शन के शुरुआती चरण में मरीज को पहले 3-7 दिनों में ही इसके लक्षण दिखायी देने लगते हैं, लेकिन 10 दिनों के बाद अधिक नहीं। इसीलिए, प्लाज्मा डोनेट करने और रिसीव करने के लिए इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए।
  • साथ ही प्लाज्मा प्राप्तकर्ता के परिवार से लिखित सहमति के बाद ही इस प्रक्रिया को अपनाया जाना चाहिए।
  • ऐसी महिलाएं जिन्होंने कभी गर्भधारण नहीं किया है वही प्लाज्मा डोनेट कर सकती हैं।
  • 18 से 65 वर्ष के बीच के लोग ही प्लाज्मा दान कर सकते हैं।