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शोधकर्ताओं का कहना है कि एंटीऑक्सीडेंट (ऑक्सीरणरोधी) की पूरक खुराक तीन महीनों तक रोजाना लेने से पुरुषों में स्पर्म की गुणवत्ता बढ़ाने में सहायता नहीं मिलती है। इससे पहले एंटीऑक्सीडेंट को शुक्राणु की गुणवत्ता सुधारने में सहायक माना जाता था। शोध के लेखकों के अनुसार, शुक्राणुजनन (परिपक्व शुक्राणु का विकास व उत्पादन) व इसके परिवहन में करीब 74 दिनों का समय लगता है। लेकिन, शुक्राणुजनन की अपेक्षा प्रतिक्रियाजनक ऑक्सीजन प्रजातियों का छोटे शुक्राणुओं के परिवहन पर बड़ा नकारात्मक असर पड़ता है। इस प्रकार एक छोटे अंतराल के बाद एंटीऑक्सीडेंट से फायदे की बात सोची जाती है।
अमेरिका के चेपेल हिल के उत्तरी कैरोलिना विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एनी स्टेनिर ने कहा, "परिणाम स्वाभाविक रूप से गर्भधारण की कोशिश करने वाले जोड़ों में पुरुष बाझपन कारकों में एंटीऑक्सीडेंट उपचार के प्रायोगिक इस्तेमाल का समर्थन नहीं करते हैं।"
इस शोध को ईएसएचआरई बार्सिलोना के 34वीं वार्षिक बैठक में प्रस्तुत किया गया।
शोध दल ने 174 दंपत्तियों पर परीक्षण किया, जिसमें पुरुष साझीदारों ने एंटीऑक्सीडेंट पूरक आहार का रोजाना इस्तेमाल किया। इन्हें विटामिन सी, डी3 और ई, फोलिक एसिड, जिंक, सेलिनियम व एल-कार्निटीन दिया गया, जबकि नियंत्रित समूह को प्रायोगिक औषधि दी गई।
शोध के निष्कर्षो में दोनों समूहों में बहुत ही मामूली अंतर देखने में आया और शुक्राणुओं की संरचना में कोई विशेष अंतर देखने को नहीं मिला।
स्रोत:IANS Hindi.
चित्रस्रोत:Shutterstock.