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सर्दी, जुकाम और फ्लू के टीके से भी हो सकता है कोरोना? जानें कितना सच है लोगों का ये दावा

सर्दी, जुकाम और फ्लू के टीके से भी हो सकता है कोरोना? जानें कितना सच है लोगों का ये दावा
सर्दी, जुकाम और फ्लू के टीके से भी हो सकता है कोरोना? जानें कितना सच है लोगों का ये दावा

लोगों के बीच ये बात वायरल हो रही है कि ठंड, फ्लू के टीके से भी लोगों को कोरोना हो सकता है। लेख में जानिए कितनी सच्चाई है इस दावे में।

Written by Jitendra Gupta |Updated : December 1, 2020 12:11 PM IST

दुनिया भर में इस साल की शुरुआत से फैले नोवल कोरोनोवायरस के साथ कई झूठे दावे, संदेह और अफवाहें भी फैली हैं और आलम ये है कि ये सिलसिला बदस्तूर जारी है। इस वायरस के घातक प्रभाव को देखते हुए लोगों ने खुद को वायरस से बचाने के लिए अतिरिक्त सावधानी और तरह-तरह के उपाय किए हैं। लेकिन सर्दियों के मौसम में फ्लू, ठंड जैसी बीमारी में लगाया जाने वाला टीका भी लोगों के लिए गले की फांस बना हुआ है। जी हां, लोगों के बीच ये बात वायरल हो रही है कि ठंड, फ्लू के टीके से भी लोगों को कोरोना हो सकता है। हालांकि इसमें कितनी सच्चाई है इस बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं। तो आइए जानते हैं, इस दावे के पीछे की सच्चाई।

क्या है दावा?

मौजूदा वक्त में कोरोना टेस्टिंग लोगों में वायरस का पता लगाने के सबसे महत्वपूर्ण उपायों में से एक बन चुका है। हालांकि हाल ही में कई लोगों ने टेस्ट कराने से इनकार किया है और वह दावा कर रहे हैं कि सर्दी या फ्लू से पीड़ित होने पर अगर वे फ्लू शॉट लेते हैं तो उन्हें निश्चित रूप से कोरोना हो जाएगा। कई लोगों ने सोशल मीडिया पर कोरोना वायरस की टेस्टिंग की अप्रभावीता और अस्पष्टता का भी आरोप लगाया है और उनका कहना है कि किसी को भी टेस्टिंग पर बिल्कुल भरोसा नहीं करना चाहिए।

कॉमन कोल्ड और कोरोना टेस्ट के बीच क्या है संबंध

जब भी बात कॉमन कोल्ड को कोरोना पॉजिटिन टेस्ट के साथ जोड़ने की होती है तो सारी बात एंटीबॉडी टेस्ट पर आकर रुक जाती है। इस टेस्ट में ब्लड के नमूने लिए जाते हैं और वायरस से लड़ने के लिए श्वेत रक्त कोशिकाओं द्वारा उत्पादित रोग-विशिष्ट प्रोटीन का पता लगाया जाता है और ये पता लगाने की कोशिश की जाती है कि क्या किसी व्यक्ति को पहले संक्रमण हुआ है या फिर नहीं। हालांकि, उन्हें डायग्नोस टेस्ट को लेकर भ्रमित नहीं होना चाहिए।

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रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) की रिपोर्ट के अनुसार, "कोरोना के पॉजिटिव टेस्ट से ये पता चलता है कि आपको वायरस से संक्रमित होने पर आपके शरीर में एंटीबॉडी बनती है, जिससे कोरोना होता है। हालांकि, ऐसी संभावना है कि पॉजिटिव रिजल्ट का मतलब है कि आपमें संक्रमण एंटीबॉडी बन चुकी हैं लेकिन आपको वायरस के परिवार का कोई दूसरा वायरस प्रभावित कर सकता है।

फ्लू, फ्लू वैक्सीन और कोरोना टेस्ट

बात करें फ्लू की तो जिस वायरस से ये बीमारी होती है वह कोरोना से बिल्कुल अलग है। फ्लू एक इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण होता है, न कि कोरोनोवायरस के कारण। इसलिए, फ्लू का टीका लगाए जाने से कोरोना पॉजिटिव नहीं होगा। फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) के एक अधिकारी के अनुसार, कोरोनावायरस के लिए उनके द्वारा अधिकृत सभी परीक्षणों को विशेष रूप से इन्फ्लूएंजा वायरस के साथ क्रॉस-रिएक्टिविटी की जांच की जाती है। लेकिन उनमें से किसी ने भी किसी भी परीक्षण के साथ क्रॉस-रिएक्टिविटी नहीं देखी है।

क्या है शोध

हाल के एक अध्ययन के अनुसार, ये दावा किया गया है कि कॉमन कोल्ड, फ्लू और फ्लू वैक्सीन से कोरोना हो सकता है ये बात बिल्कुल असत्य है। कोरोना टेस्ट में आनुवंशिक मैटिरियल या प्रोटीन के विशिष्ट रूप को निशाना बनाया जाता है। इसलिए, यह संभावना नहीं है कि अन्य संक्रमण, रोग या टीके कोरोना टेस्ट को प्रभावित कर सकता है। यह संभव है कि कॉमन कोल्ड से एंटीबॉडी टेस्ट पॉजिटिव आ सकता है लेकिन इसका उपयोग कोरोना का पता लगाने के लिए नहीं किया जाता है।