सिंगल यूज़ प्लास्टिक हमारे पर्यावरण को प्रदूषित कर हमारी सेहत और ज़िंदगी को भी प्रभावित करता है। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने विद्यार्थियों, शिक्षकों तथा सभी शिक्षण संस्थानों से जल संरक्षण और प्लास्टिक के एकल उपयोग की समाप्ति को जन आंदोलन बनाने का आह्वान किया है।
उत्तराखंड की 10वीं बोर्ड परीक्षा में उच्च स्थान प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों के समूह को संबोधित करते हुए उप राष्ट्रपति ने स्वच्छ भारत, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, प्रति बूंद अधिक फसल, पोषण अभियान तथा योग की चर्चा करते हुए कहा कि इन सबके बारे में जन आंदोलन चलाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड को जल और वन संसाधन वरदान में मिले हैं और इन संसाधनों का संरक्षण लोगों का पवित्र कर्तव्य है।
उप राष्ट्रपति ने कहा कि धरती पर जल संरक्षण को अधिक महत्व देना चाहिए :-
नायडू ने जल संरक्षण पर बल देते हुए कहा कि जल पृथ्वी का अमृत है। उन्होंने कहा कि जब हम चन्द्रमा पर जीवन की खोज में जल का अंश देख रहे है तब हमें धरती पर जल संरक्षण को अधिक महत्व देना चाहिए।
उप राष्ट्रपति ने कहा कि टेक्नोलॉजी तेज गति से बदल रही है इसलिए नए भारत के निर्माण में विद्यार्थियों को नवीनतम प्रौद्योगिकी विकास की जानकारी रखनी चाहिए। नायडू ने विद्यार्थियों की उपलब्धियों के लिए उनकी सराहना की। विद्यार्थी देवप्रयाग के विधायक विनोद खंडूरी के साथ आए थे। उप राष्ट्रपति को बताया गया कि विधायक विनोद खंडूरी ने उत्तराखंड के 51 सरकार स्कूलों के मेधावी विद्यार्थियों के लिए भारत दर्शन कार्यक्रम का आयोजन किया है।
क्यों हैं सिंगल यूज़ प्लास्टिक खतरनाक-
ऐसा प्लास्टिक जिसे एक बार इस्तेमाल करने के बाद फेंक दिया जाता है और वह रिसाइकल नहीं हो पाता, सिंगल यूज़ प्लास्टिक कहा जाता है। सिंगल यूज़ प्लास्टिक से बनी कुछ चीज़ें हैं-
विभिन्न रिसर्च और स्टडीज़ में यह पाया गया कि यह प्लास्टिक जल स्रोत्रों और मिट्टी को प्रदूषित करते हैं। पानी और भोजन के ज़रिए यह हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं। इंग्लैंड में की गयी एक स्टडी में यह बताया गया कि हर व्यक्ति हर साल औसतन 70 हजार माइक्रोप्लास्टिक का सेवन करता है। यह प्लास्टिक शरीर में पहुंचकर विभिन्न गड़बड़ियां पैदा करता है।
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