आंकड़े बताते हैं कि स्तन कैंसर के ज्यादातर मरीजों को अपनी स्थिति के बारे में तब पता चलता है जब उनका मर्ज तीसरी या चौथी स्टेज पर पहुंच चुका होता है। भारत में तो स्थिति पश्चिमी देशों की तुलना में और भी संवेदनशील है। जब तक मरीज और उसके परिजनों को इस बीमारी के बारे में पता चलता है वे बहुत टूट चुके होते हैं। अगर इस संदर्भ में जरा सी जागरुकता बरती जाए तो कितने ही मरीजों की जान बचाई जा सकती है। यह भी पढ़ें - बस एक बार लगवाएं ये टीका और महीने भर अनचाहे गर्भ की