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Home / Hindi / Diseases & Conditions / Male Infertility: पिता न बन पाने का कारण है ये 7 प्रजनन संबंधी रोग, एक्‍सपर्ट से जानिए रोग और आयुर्वेदिक उपचार

Male Infertility: पिता न बन पाने का कारण है ये 7 प्रजनन संबंधी रोग, एक्‍सपर्ट से जानिए रोग और आयुर्वेदिक उपचार

पुरुष निःसंतानता को मेल इनफर्टिलिटी या पुरुष बांझपन भी कहते हैं। इस समस्‍या से अधिकांश पुरुष पिता बनने से वंचित रह जाते है। मगर समय रहते मेल इनफर्टिलिटी का उपचार किया जा सकता है।

By: Atul Modi   | Edited by: Atul Modi   | | Updated: January 29, 2021 8:31 pm
Tags: infertility cause  Infertility treatment  Male infertility  
male fertility
मेल इनफर्टिलिटी का उपचार संभव है। चिकित्‍सक की सलाह से आप इस समस्‍या का उपचार कर सकते हैं।

Male Infertility In Hindi: संतान को इस संसार में लाने के लिए महिला एवं पुरुष दोनो की प्रजनन क्षमता अच्छी होनी चाहिए तभी एक बच्चे का जन्म हो सकता है। महिलाओं में जिस प्रकार से प्रजनन संबंधी समस्याएं होती है ठीक उसी प्रकार पुरुषों में भी प्रजनन की समस्याएं हो सकती है, जिसे पुरुष निःसंतानता या मेल इनफर्टिलिटी के नाम से जानते है। मेल इनफर्टिलिटी (Male Infertility) के कई कारण हो सकते हैं जिसके जो उन्हें पिता बनने से रोकते है। Also Read - पुरुष बांझपन का कारण बन सकता है देर रात तक स्‍मार्ट फोन का इस्‍तेमाल, वैज्ञानिकों ने किया चौंकाने वाला खुलासा

मेल इनफर्टिलिटी: कारण और आयुर्वेदिक उपचार – What Is Male Infertility & What Are The Causes And Treatment

जब कोई पुरुष पिता बनने के योग्य नही होता है तो उसका मुख्य कारण मेल इनफर्टिलिटी को माना जाता है। वर्तमान समय में खापपान की खराबी एवं जीवनशैली में बदलाव के कारण पुरुष बांझपन की समस्या अधिक तेजी के साथ बढ़ रही है। पुरुष निःसंतानता की समस्या का उपाय अगर समय रहते न किया गया तो यह भविष्य की एक गंभीर समस्या बन सकती है। Also Read - Herbs to Increase Sperm: पुरुषों में इनफर्टिलिटी का कारण है लो स्पर्म काउंट, इन हर्ब्स के सेवन से बढ़ाएं शुक्राणुओं की संख्या



मेल इनफर्टिलिटी के कारणों की बात की जाए तो इसका मुख्य कारण पुरुष के वीर्य में शुक्राणुओं कमी माना जाता है। हाल में हुए सर्वे के आधार पर यदि पुरुषों के वीर्य की बात करें तो बहुत ज्यादा कमी देखने को मिली है और पुरुष निःसंतानता का प्रतिशत करीब 40% तक पहुंत चुका है। Also Read - Diabetes and Infertility: क्या डायबिटीज से कम हो सकती है पुरुषों की फर्टिलिटी? जानें महिलाओं और पुरुषों में बांझपन और डायबिटीज का संबंध

जब पुरुषों के शुक्राणुओं की गुणवत्ता, आकार, गतिशीतला, मात्रा या संख्या में विकार उत्पन्न हो जाता है तो वीर्य से संबंधित तरह-तरह की बीमारियां हो जाती है। जिनका उल्लेख नीचे किया गया है और इन्हीं प्रजनन संबंधी बीमारियों के कारण ही पुरुष निःसंतानता का जन्म होता है जो पिता बनने की राह में रोड़ा बनती है।

मेल इनफर्टिलिटी या पुरुष निःसंतानता के प्रमुख कारण

1. एजुस्पर्मिया
2. ओलिगोस्पर्मिया
3. टेरैटोज़ोस्पर्मिया
4. अस्थानोजोस्पर्मिया
5. नपुंसकता
6. शीघ्रपतन‌
7. वैरीकोसेल

1- एजुस्पर्मिया (Azoospermia)

एजुस्पर्मिया एक प्रकार का वीर्य विकार है जिसके अंतर्गत वीर्य का निर्माण नही हो पाता है। यह पुरुष निःसंतानता का मुख्य कारण माना जाता है। क्योंकि जब पुरुष वीर्य उत्पादन में सक्षम नही होगा तो वह फिर कैसे महिला का गर्भवती कर पायेगा।

2- ओलिगोस्पर्मिया (Oligospermia)

यह भी एक प्रकार की पुरुष प्रजनन संबंधी समस्या है जिसमें पुरुष के वीर्य में गतिशीतला में कमी पायी जाती है जिसके कारण वीर्य महिला के अंडे तक पहुंचने में असमर्थ होता और और निःसंतानता का कारण बनता है।

3- टेरैटोजोस्पर्मिया (Teratozoospermia)

यह समस्या शुक्राणु विकार के कारण पैदा होती है। जब पुरुष के वीर्य में मौजूद शुक्राणु आकार में अलग या भिन्न होते है तो वह सही से अंडों के साथ मिल नही पाते है। अंडो से मिल न पाने के कारण पुरुष निःसंतानता की समस्या पैदा होती है।

4- अस्थानोजोस्पर्मिया (Asthenospermia)

अस्थानोजोस्पर्मिया की समस्या की निल शुक्राणु भी कहते है क्योंकि जब पुरुष वीर्य में एक भी शुक्राणु या फिर बहुत कम शुक्राणु उपस्थित होते है तो उसे अस्थानोजोस्पर्मिया कहते है। संतान उत्पत्ति में वीर्य में शुक्राणु की मात्रा भी बहुत मायने रखती है।

5- नपुंसकता (Impotence)

नपुंसकता को एक दिमागी विकार बताया जाता है क्योंकि जो लोग नपुंसकता के शिकार हो जाते है उनको संभोग के प्रति बिल्कुल भी रुचि नही होती है। बहुत सारे सर्वे यह बताते हैं कि जब कोई पुरुष हस्तमैथुन करते हैं तो उन्हें कोई समस्या नही होती है, परंतु जब वह अपने साथी के साथ होते है तो वह बिल्कुल भी सक्रिय स्थिति में नही रह पाते है। ब्लड प्रेशर तथा उच्च कोलेस्ट्रोल भी नपुंसकता के लिए जिम्मेदार है।

6- शीघ्रपतन‌ (Premature Ejaculation)

शीघ्रपतन प्रजनन से संबंधिक एक प्रकार का विकार है। यह विकार किसी रोग के अंतर्गत नही आता है। परंतु यह एक प्रकार भी बहुत ही गंभीर प्रजनन समस्या है जो पुरुष निःसंतानता के लिए जिम्मेदार होती है। शीघ्रपतन की समस्या केवल हमारे देश में ही नही बल्कि दुनिया के अन्य देशो में भी देखने को मिलती है। शीघ्रपतन की परेशानी आमतौर पर पुरुषों में ही होती है परंतु आजकल तो यह समस्या महिलाओं में भी होने लगी है।

शीघ्रपतन की समस्या को आप इस तरह से समझ सकते है। जब महिला और पुरुष संबंध बनाने का तैयार होते हैं तभी उनका वीर्य स्खलित हो जाता है। यह समस्या मानसिक तथा शारीरिक कमजोरी के कारण भी होती है।

7- वैरीकोसेल (Varicocell)

यह समस्या भी पुरुष प्रजनन से संबंधित है। जब पुरुष के अंडकोष की नसों में सूजन आ जाती और नसें वीर्य प्रवाह को अवरुद्ध कर देती है। वैरीकोसेल के कारण रक्त संचार भी ठीक प्रकार से नही होता जिससे गुप्तांग में तनाव कम हो जाता है जो निःसंतानता का कारण बनता है।

इन सभी समस्याओं के कारण ही पुरुष निःसंतानता का शिकार होते है परंतु अब परेशानी की कोई बात नही है। प्राचीन आयुर्वेदिक उपचार के द्वारा पुरुष निःसंतानता का समाधान किया जाता है।

मेल इनफर्टिलिटी या पुरुष निःसंतानता का आयुर्वेदिक उपचार – Ayurvedic Therapy For Male Infertility

डॉक्‍टर चंचल शर्मा कहती हैं, ‘आयुर्वेद में पुरुष बांझपन का स्थाई उपचार उपलब्ध है। आयुर्वेद में कई ऐसी हर्बल औषधियां हैं, जो पुरुष के वीर्य में सुधार करके उनकी प्रजनन क्षमता को बढ़ाती हैं। प्राकृतिक तरीके से पुरुष निःसंतानता को दूर करने में किसी भी प्रकार का कोई दुष्प्रभाव नही होता है।’

आयुर्वेद की प्राचीन पंचकर्म चिकित्‍सा पद्धति (वमन कर्म, विरेचन कर्म, बस्ती कर्म, नस्यम कर्म तथा रक्त मोक्षण) के द्वारा बहुत ही कम समय में पुरुष वीर्य से संबंधित विकार से निजात पा लेते है। पंचकर्म की उत्तर बस्ती पद्धति वीर्य संबंधित विकार को दूर करने के लिए सबसे अच्छी थेरेपी मानी जाती है।

आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति सबसे पहले तो पुरुष के शरीर में होने वाले विकारों को शांत करने के लिए उपाय करता है। जिससे बीमारी से बहुत ही जल्द राहत मिल जाती है और रोग की जड़ में वार करता है जिससे रोग के दूसरा से होने की संभावना बिल्कुल भी कम हो जाती है।

आयुर्वेद मुख्य रूप से दिनचर्या, रात्रिचर्या, ऋतुचर्या, सद्वृत्त, योग, निद्रा, आहार, ब्रह्मचर्य इत्यादि पर अधिक जोर देता है जिससे गंभीर से गंभीर बीमारी में बहुत ही जल्द सफलता प्राप्त हो जाती है।

नोट: यह लेख आशा आयुर्वेद की इनफर्टिलिटी एक्सपर्ट डॉ चंचल शर्मा से हुई बातचीत पर आधारित है।

Published : January 29, 2021 8:18 pm | Updated:January 29, 2021 8:31 pm
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