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अपोलो फाउंडेशन ने 1600 एनसीसी कैडेट्स को बेसिक लाइफ सपोर्ट के लिए किया प्रशिक्षित

बेसिक लाइफ सपोर्ट के तहत चिकित्सा प्रक्रियाओं की एक श्रृंखला होती है। मरीज को घातक स्थिति से बाहर निकालने के लिए इन प्रक्रियओं का इस्तेमाल किया जाता है। बेसिक लाइफ सपोर्ट (Basic life support) को बीएलएस भी कहा जाता है। यह मुश्किल मामलों में मरीज को जरूरी चिकित्सकीय देखभाल प्रदान करता है, जब तक कि उसे एडवांस्ड उपचार या देखभाल न मिल जाए।

By: Anshumala   | Edited by: Anshumala   | | Published: October 10, 2019 8:26 am
Tags: Apollo Hospitals  Health News in Hindi  Heart diseases  WHO  
APOLLO FOUNDATION TRAINS 1600 NCC CADETS FOR BASIC LIFE SUPPORT
अपोलो फाउंडेशन ने 1600 एनसीसी कैडेट्स को बेसिक लाइफ सपोर्ट के लिए किया प्रशिक्षित।

अपोलो फाउंडेशन ने एनसीसी कैडेट्स (NCC Cadets) को बेसिक लाइफ सपोर्ट (Basic life support) में प्रशिक्षित करने के लिए एक विशेष प्रशिक्षण सत्र का आयोजन किया। कैटेड्स को जटिल मामलों को हैंडल करने के लिए जानकारी एवं कौशल प्रदान करना इस सत्र का मुख्य उद्देश्य था। बेसिक लाइफ सपोर्ट के तहत चिकित्सा प्रक्रियाओं की एक श्रृंखला होती है। मरीज को घातक स्थिति से बाहर निकालने के लिए इन प्रक्रियओं का इस्तेमाल किया जाता है। बेसिक लाइफ सपोर्ट (Basic life support) को बीएलएस भी कहा जाता है। यह मुश्किल मामलों में मरीज को जरूरी चिकित्सकीय देखभाल प्रदान करता है, जब तक कि उसे एडवांस्ड उपचार या देखभाल न मिल जाए। अस्पताल में भर्ती से पहले इस सपोर्ट के महत्व को देखते हुए इस प्रक्रिया के बारे में सही जानकारी और कौशल बहुत जरूरी है। Also Read - WHO साइंटिस्ट का दावा, एंटीबॉडी बढ़ाकर कम हो सकता है कोरोना का खतरा, जानिए क्या होती है एंटीबॉडी

जरूरी है बेसिक लाइफ सपोर्ट की जानकारी

इस अवसर पर उपासना कामिनेनी कोनिडेला, वाइस चेयरपर्सन- सीएसआर, अपोलो हॉस्पिटल्स ने कहा, ‘‘एमरजेन्सी के ज्यादातर मामलों में मरीज दुर्घटना या कार्डियक अरेस्ट का शिकार होते हैं। इन स्थितियों के गंभीर परिणाम हो सकते हैं। ऐसे मामलों में मरीज की देखभाल के लिए जल्द से जल्द एक्शन लेने की जरूरत होती है, जिसके लिए उचित कौशल, विशेष रूप से बेसिक लाइफ सपोर्ट के बारें में जानकारी होना बहुत जरूरी है, ताकि इस तरह की एमरजेन्सी में अस्पताल पहुंचने से पहले मरीज को सही देखभाल मिल सके। ऐसे मामलों में भाग्य बहुत अधिक महत्वपूर्ण होता है। आज भी लोगों में इस तरह की स्थिति से निपटने के लिए बेसिक जानकारी की कमी देखी जाती है।’’ Also Read - Corona New Strain: चेन्नई में मिले कोरोना वेरिएंट के 3 नये मरीज, देश में कुल मामले हुए 71, WHO ने किया दुनिया को खबरदार



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विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, दुनिया भर में दिल की बीमारियों के कारण हर साल 17.5 मिलियन लोगों को अपनी जाने गंवानी पड़ती है। भारत में दिल की बीमारियों के कारण होने वाली मौतों की संख्या कैंसर की तुलना में तीन गुना अधिक है। कर्डियोपल्मोनरी रीससीटेशन एक जीवनरक्षक प्रक्रिया है, जो बेसिक लाइफ सपोर्ट में सबसे महत्वपूर्ण होती है। हार्ट अटैक के मामलों में या ऐसे मामलों में यह बहुत अधिक कारगर होती है, जब मरीज की सांसें या दिल की धड़कन रुक जाए। ऐसे में समाज के हर सदस्य को उच्च गुणवत्ता के बेसिक लाइफ सपोर्ट में प्रशिक्षित करना समय की मांग है।

बीएलएस करते समय रखें इन बातों का ध्यान

डॉ. अजहरूद्दीन, अपोलो एमरजेन्सी टीम के सदस्य ने कहा, ‘‘बीएलएस प्रक्रिया बहुत अधिक उपयोगी हो सकती है, अगर इसे सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए। बीएलएस करते समय तीन चीजों को ध्यान में रखना होता है- सर्कुलेशन, एयरवे और ब्रीदिंग।

  • सबसे पहले मरीज का सर्कुलेशन जांचा जाता है। इसके लिए यह सुनिश्चित करना होता है कि दिल शरीर के अंगों को ठीक तरह से खून की आपूर्ति कर रहा है या नहीं।
  • एयरवे में बाहरी चीजों जैसे बलगम, उल्टी आदि की जांच की जाती है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मरीज ठीक से सांस ले सकता है।
  • अंत में ब्रीदिंग यानी सांस की जांच की जाती है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मरीज के फेफड़ों और शरीर के अन्य अंगों तक ऑक्सीजन का प्रवाह ठीक से हो।’’

Published : October 10, 2019 8:26 am
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