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शराब पीना यूं तो हर उम्र में सेहत के लिए नुकसानदायक है, लेकिन अगर आपने टीनएज में शराब पी तो उसके गंभीर नुकसान आपको उठाने पड़ सकते हैं। शोध बताते हैं कि इसी उम्र में हडि़डयों का विकास होता है। शराब पीने की आदत हडि़डयों के द्रव्यमान पर असर डालती है। लड़कों के मुकाबले लड़कियों के लिए तो यह आदत और भी घातक है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक टीनएज में शराब पीने वाली ल्रड़कियों में बोन मास (Bone Mass) पूरी तरह विकसित नहीं हो पाता। बोन मास विकसित होने की सर्वोत्तम उम्र लड़कियों में 18 वर्ष और लड़कों में 20 वर्ष है। इस उम्र तक 90 फीसदी बोन मास का विकसित हो चुका होता है। इस उम्र में शराब का सेवन करने से उन्हें आगे चलकर ज्वाइंट प्रोब्लम के साथ-साथ ऑस्टियोपोरोसिस होने की संभावना भी बढ़ जाती है। ऑस्टियोपोरोसिस वह खतरनाक बीमारी है जिसमें हड्डियां कमजोर और भंगुर हो जाती हैं।
रीढ़ की हड़डी भी कमजोर करती है शराब
हालांकि, निष्कर्षों से यह भी पता चला है कि नियमित रूप से शराब का सेवन करने वाली लड़कियों की रीढ़ की हड़डी भी कमजोर हो जाती है। शोधकर्ताओं ने हडि़डयो को कमजोर करने वाले अन्य तथ्यों जैसे अत्यधिक कसरत, स्मोकिंग और पोषण की कमी जैसे तथ्यों को भी शामिल किया। इसके बावजूद उन्होंने पाया कि इनमें सर्वाधिक खतरनाक शराब पीना ही है। लॉस एंजेल्स में लोयोला मैरीमाउंट यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर लीड रिसर्चर जोसेफ लाबरी ने कहा, "जब हम हड्डी के स्वास्थ्य पर विचार करते हैं, तब हमेशा व्यायाम, कैल्शियम और विटामिन डी जैसी चीजों के बारे में बात करते हैं, धूम्रपान या शराब पीने पर कोई बात नहीं करते हैं। हडि़डयों का स्वास्थ्य चाहिए तो हमें शराब पीने की आदत पर भी बात करनी होगी और किशोरों एवं युवाओें को इस आदत से दूर रखना होगा।"
प्रोफेसर लाबरी ने अपने शोध में यह भी पाया कि युवतियों में शराब ही उनके बोन मास को विकसित होने से रोकती है। ऑस्टियोपोरोसिस एक महंगा हड्डी रोग है, जिसका मूल कारण कम बोन मेरो डेन्सिटी (बीएमडी) है। कम बोन मेरो डेन्सिटी का सबसे ज्यादा असर पोस्टमेनोपॉज़ल महिलाओं में दिखाई देता है। जिसके चलते वयस्कता के शुरुआती वर्षों में ही उनकी हडि़डयां कमजोर होने लगती है। प्रोफेसर लाबरी ने कहा, "यह अध्ययन युवतियों में शराब पीने के कारण जीवन भर होने वाले दुष्प्रभावों का अध्ययन करता है।" अध्ययन के लिए, जर्नल ऑफ़ स्टडीज ऑन अल्कोहल एंड ड्रग्स में प्रकाशित, टीम में 18 से 20 साल के बीच की लगभग 100 कॉलेज जाने वाली युवतियां शामिल थीं। अध्ययन में फ्रैक्चर जोखिम पर भी विस्तार से बात की गई है।
चित्रस्रोत:Shutterstock.