बदनामी के डर और पहुंच आसान न होने के कारण बहुत से लोग नहीं करवाते एचआईवी का परीक्षण और बचाव उपाय। © Shutterstock.
एक नई रिपोर्ट, 'नॉलेज इज़ पावर' ने खुलासा किया है कि अनुमानित 9.4 मिलियन लोग जो एचआईवी वायरस से संक्रमित हैं, उन्हें यह पता ही नहीं है कि वे इस वायरस की चपेट में आ चुके हैं।
यूएनएड्स द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, एचआईवी से ग्रस्त केवल 27 मिलियन लोग यानी 75 प्रतिशत मरीज ही जानते हैं कि वे एचआईवी से ग्रस्त हैं। यह भी पढ़ें - चेस्ट वाल की बीमारी से जूझ रहे इराकी लड़के को मिला नया जीवन
बड़ी आबादी है अनजान
रिपोर्ट का उद्देश्य एचआईवी से ग्रसित उन 9.4 मिलियन लोगों में जागरुकता पैदा करना है जो यह नहीं जानते कि उन्हें यह गंभीर बीमारी लग चुकी है और न ही वे इसे रोकने के उपाय जानते हैं। रिपोर्ट में इस बात का भी खुलासा किया गया है कि पहले के मुकाबले एचआईवी के बारे में जागरुकता में बढ़ोतरी आई है। यह भी पढ़ें – सेहत पर भारी न पड़ जाए ब्लैक फ्राइडे
स्वस्थ रहने और संचरण को रोकने के लिए, एचआईवी वायरस को निरंतर एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी के माध्यम से समय रहते ही परीक्षण और उसकी रोकथाम के उपाय शुरू कर देने चाहिए।
यूएनएड्स के कार्यकारी निदेशक, मिशेल सिडीबे के अनुसार वायरल लोड की प्रभावी निगरानी करने के लिए, एचआईवी से पीड़ित लोगों को हर 12 महीनों में वायरल लोड परीक्षण तक पहुंच की आवश्यकता होती है।
क्या है वायरल लोड परीक्षण
"वायरल लोड परीक्षण एचआईवी उपचार निगरानी में स्वर्ण मानक है। यह दिखाता है कि उपचार काम कर रहा है, लोगों की आयु में बढ़ोतरी हुई है और वे बेहतर जिंदगी जी पा रही है। साथ ही यह भी कि वायरस को मजबूती से नियंत्रण में रख जा रहा है।" यह भी पढ़ें - स्पर्म के बारे में ये सवाल, जो ज्यादातर कपल जानना चाहते हैं
रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि वायरल लोड परीक्षण तक पहुंच मिलीजुली थी। दुनिया के कुछ हिस्सों में, वायरल लोड टेस्ट करवाना आसान है और पूरी तरह से किसी व्यक्ति के एचआईवी उपचार व्यवस्था में एकीकृत होता है, जबकि अन्य लोगों में, पूरे देश के लिए केवल एक वायरल लोड मशीन ही संभव हो पाई है। यह भी पढ़ेें – जानें क्यों लोकप्रिय हो रहे हैं लोगों के बीच सेक्स टॉय
सुलभ हो संसाधन
सिदीबे ने जोर देकर कहा: "लीलॉन्ग में वायरल लोड मॉनीटरिंग संभव होनी चाहिए क्योंकि यह लंदन में है।
"एचआईवी परीक्षण और वायरल लोड परीक्षण एचआईवी ग्रसित और अन्य लोगों के लिए समान रूप से उपलब्ध होना चाहिए। रिपोर्ट से पता चला है कि एचआईवी परीक्षण की सबसे बड़ी बाधाओं में से एक रूढियां और भेदभाव हैं।
महिलाओं, पुरुषों, युवाओं और प्रमुख आबादी के बीच अध्ययन से पता चला कि एचआईवी सेवाओं तक पहुंचने में भी लोगों में डर की अनुभूति है। उन्हें डर रहता है कि कहीं उनके बारे में इस बीमारी संबंधी जानकारी उनके परिवार, दोस्तों, यौन भागीदारों या व्यापक समुदाय के साथ साझा न हो जाए। इस डर से वे एचआईवी परीक्षण और उपचार से भी दूरी बनाए रखते हैं।
बुनियादी मानव अधिकार है
यूएनएड्स के मुताबिक, एचआईवी परीक्षण तक पहुंच एक बुनियादी मानव अधिकार है। संयुक्त राष्ट्र एचआईवी / एड्स एजेंसी भी एचआईवी रोकने के लिए इनकी आवश्यकता के प्रति प्रतिबद्धता जता चुकी है। एचआईवी से संबंधित कलंक और भेदभाव को समाप्त करना, एचआईवी परीक्षण और उपचार सेवाओं में गोपनीयता सुनिश्चित करना और सबसे ज्यादा आबादी तक एचआईआवी परीक्षण और जागरुकता की पहुंच बनाना भी इन एजेंसियों की प्राथमिकता है।
अन्य स्वास्थ्य सेवाओं के साथ इनका संयोजन करते हुए एचआईवी परीक्षण में बाधा डालने वाली नीतियों को दूरे करने और उपचार तक पहुंच को और सुगम बनाने के लिए मध्यम आय वाले देशों में वायरल लोड मॉनीटरिंग को और भी प्रभावी बनाना होगा। जरूरत है कि नवजात शिशुओं में इस बीमारी और वायरल के परीक्षण को प्राथमिक स्तर पर ही सुनिश्चित किया जाए।
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