क्या आप जानते हैं अगर आपके दोनों घुटने काम करना बंद कर दें तो आपके लिए जीवन कितना मुश्किल हो सकता है। जी हां, ऐसा ही कुछ हुआ 61 साल के एक बुजुर्ग के साथ। क्रॉनिक अर्थराइटिस के कारण घुटने में गंभीर तकलीफ से पीड़ित बुजुर्ग के दोनों घुटनों की वैशाली के एक अस्पातल में सफल नी रिप्लेसमेंट सर्जरी हुई। सुभाष पिछले कई वर्षों से घुटनों के दर्द से पीड़ित थे। सर्जरी के डर से वह इलाज कराने में आनाकानी करते रहे और इस वजह से पिंडली की हड्डी में बोन मिनरल डेंसिटी भी खत्म हो चुकी थी जिस कारण घुटने की समस्या गंभीर हो गई थी। आइए जानते हैं कैसे डॉक्टरों ने दिया इस सफल ऑपरेशन को अंजाम।
टोटल नी रिप्लेसमेंट के क्षेत्र में आई तरक्की खासकर उन मरीजों के लिए वरदान साबित हुई है जो नी अर्थराइटिस के कारण गंभीर रूप से अपंग हो गए हैं। इस तरह की परेशानी अक्सर मरीज की लापरवाही के कारण ही उभरती है। शुरू में जोड़ों का दर्द उतना तकलीफदेह नहीं होता है लेकिन समय के साथ स्थिति बिगड़ती चली जाती है और दर्द भी बढ़ जाता है। इसके बाद ही मरीज इलाज की जरूरत महसूस करता है।
मैक्स सुपर स्पेशियल्टी हॉस्पिटल, वैशाली में ऑर्थोपेडिक्स एंड ज्वाइंट रिप्लेसमेंट के एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. अखिलेश यादव कहते हैं कि इस मरीज की लापरवाही उसके रोजमर्रा की गतिविधियों में होने वाली परेशानी से शुरू हुई थी। उसका घुटना धीरे—धीरे कमजोर पड़ने लगा और थोड़े अंतराल पर ही खड़ा होने या चलने—फिरने में उसे भयंकर दर्द होता था। कुछ दिन तक तो वह इस दर्द की अनदेखी करते रहे और जब स्थिति बिगड़ती चली गई तब डॉक्टर के पास इलाज के लिए पहुंचे।
उन्होंने कहा कि अर्थराइटिस बढ़ जाने के कारण उसके पिंडली की हड्डी भी बहुत कमजोरहो चुकी थी और इलाज के बिना यह ठीक नहीं हो सकती थी। लिहाजा ऑर्थोपेडिक्स टीम ने उसे टोटल नी रिप्लेसमेंट की सलाह दी। सर्जरी के बाद वह सामान्य रूप से चलने—फिरने लगे और बिना दर्द के उनकी जिंदगी फिर से सामान्य हो गई। शुरुआती चरण में ही जांच कराने के महत्व को समझना जरूरी है और इसी जांच से अनुकूल परिणाम देने वाले इलाज तय किया जाता है।
गंभीर अर्थराइटिस के कारण कुछ मरीजों को भयंकर दर्द और चोट जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। लेकिन सर्जरी से उनकी स्थिति बेहतर हो सकती है जो न्यूनतम शल्यक्रिया के साथ ही तेज रिकवरी और मरीज को सामान्य गतिविधियों में जल्दी लौटाती है। मरीज को घुटने की सामान्य स्थिरता के साथ लिगामेंट की सुरक्षा के कारण प्राकृतिक घुटने तरह ही नया घुटना मिल जाता है।
डॉक्टर का कहना है कि उम्र बढ़ने के साथ घुटने की समस्या में तेजी आना सामान्य बात है लेकिन समय पर इसकी पहचान हो जाना और कंप्यूटर की सहायता से न्यूनतम शल्यक्रिया तकनीक के साथ टोटल नी रिप्लेसमेंट के क्षेत्र में आई तरक्की के कारण मरीज को बेहतर रिकवरी और अच्छी जीवन गुणवत्ता मिलने की राह आसान हो गई है। जिन मरीजों की अर्थराइटिस गंभीर श्रेणी में पहुंच चुकी है और जिन पर अन्य तरह के इलाज का असर नहीं होता है, उन्हें टोटल नी रिप्लेसमेंट से बड़ी राहत मिलती है जिसमें वे फिर सामान्य जीवन में लौट पाते हैं। यह सर्जरी बहुत कुशल विशेषज्ञों की निगरानी में कराने की भी जरूरत नहीं होती है और इससे मरीज को जल्दी दर्द से निजात तथा अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है। मरीज पूरी तरह संतुष्ट होकर ही घर लौटता है।
अच्छी तरह प्रत्यारोपित किया गया घुटना न सिर्फ लंबे समय तक चलता है बल्कि न्यूनतम शल्यक्रिया के कारण रिकवरी में भी तेजी आती है। सर्जरी के बाद मरीज बहुत जल्दी यानी चार घंटे के बाद ही चल—फिर सकता है। टोटल नी रिप्लेसमेंट में आधुनिक तकनीक रियल—टाइम और 3—डी इमेजिंग देती है जिससे सर्जन को परिशुद्धता के साथ कट लगाने और बेहतर तथा सटीक स्थान पर प्रत्यारोपण के लिए मार्गदर्शन मिलता है। इसके अलावा इस तकनीक में किसी तरह की त्रुटि का भी जल्दी दिख जाती है और इसे दुरुस्त कर लिया जाता है। घुटनों की तकलीफ से पीड़ित उन मरीजों के लिए यह वरदान साबित हुई है जो घुटने का प्रत्यारोपण कराते हैं।
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