भाई-बहन हो या भाई-भाई के बीच कैसा भी झगड़ा, ये 5 टिप्स 1 मिनट से भी कम वक्त में देंगे सुलझा
How to resolve conflict between siblings : अगर आपके घर में बच्चे हैं और अगर सभी शैतान हैं तो लड़ाईयां होना स्वभाविक है। लेकिन जान लें कि बच्चों के बीच होने वाले झगड़े ही घर की रौनक बढ़ाते हैं। आप इसको महसूस भी कर सकते हैं जैसे कि अगर आपके बच्चे कुछ दिन के लिए घर से बाहर चले जाएं तो घर की रौनक ही खत्म हो जाती है।
हर मां-बाप चाहते हैं कि उनके सामने उनके बच्चे कभी न झगड़ें लेकिन ऐसा होता नहीं है। बच्चों के बीच झगड़े होना स्वभाविक है और भाई-बहन के बीच तो रिश्ता ही प्यार और तकरार का होता है। बच्चों के बीच होने वाले झगड़े न सिर्फ खुद उनके लिए बल्कि माता-पिता के लिए भी परेशानी खड़े करते हैं। आइए जानते हैं कुछ ऐसे तरीकों के बारे में, जो बच्चों के बीच झगड़े सुलझाने का काम कर सकते हैं।
अगली बार जब आपके बच्चों की बीच झगड़ा हो और दोनों के बीच नौबत बाल खींचने की आ जाए तो सबसे पहले दोनों को अलग-अलग बैठाइए और लड़ाई का कारण जानने की कोशिश कीजिए। आप बिल्कुल न्यूट्रल होकर दोनों से लड़ाई का कारण जानिए और किसी की भी तरफदारी न कीजिए। ऐसा करने से बच्चों के मन में हीनभावना आ जाती है। इसलिए हमेशा लड़ाई के कारण को जानिए।
घर में अगर बच्चे एक से ज्यादा हो तो लड़ाई होना स्वभाविक है। ऐसे में होता क्या है कि प्यार के बंटने की संभावना भी बढ़ जाती है, जो बच्चों में चिड़चिड़ेपन को जन्म दे देता है। इस वजह से भी भाई-बहन में लड़ाई होती है। इस स्थिति से बचने के लिए आप दोनों के बीच समय को बांटइए और दोनों को बराबर प्यार दीजिए। अगर आप बच्चों को एकबराबर समझेंगे तो लड़ाईयां खुद-ब-खुद कम हो जाएंगी।
क्या आपकी पांचों उंगलियां एक बराबर हैं? नहीं ना, तो फिर हर बच्चा एक जैसा कैसे हो सकता है। हर बच्चे की क्षमता व कौशल अलग-अलग होता है इसलिए कभी भी बच्चों के बीच तुलना न करें। ऐसा करने से बच्चों के बीच भावनात्मक रूप से दरार पैदा होती है और वह अपने ही भाई-बहन से नफरत करने लगता है।
अगर आप अच्छे माता-पिता हैं तो आपके लिए जरूरी है कि बच्चों के झगड़े में कूदकर उसे और न बढ़ाएं। बच्चे अक्सर एक-दूसरे के साथ लड़ते हैं और फिर साथ मिलकर खेलने लगते हैं। इसलिए अगली बार जब बच्चे झगड़ें तो पहले उन्हें खुद ही लड़ाई को सुलझाने दें उसके बाद ही जरूरत पड़ने पर बीच में पड़े।
जब भी दोनों के बीच लड़ाई हो तो बिना किसी नतीजे पर पहुंचे निष्पक्ष होकर सभी पहलुओं की जांच करें उसके बाद ही कुछ बोलें। बच्चों का मन बड़ा ही कोमल व भावुक सा होता है, जो आपके एक गलत फैसले से चोटिल हो सकता है इसलिए अपने फैसले में निष्पक्षता बनाए रखें।
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