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आजकल लड़कियां देरी से शादी कर रही हैं और जो शादी कर भी लेती हैं वो देरी से बच्चे की प्लानिंग कर रही हैं। अध्ययनों के अनुसार, 30 साल की उम्र में महिलाओं को प्रेगनेंसी में मुश्किल हो सकती है। हालांकि उम्र बढ़ने से हर महिला को इनफर्टिलिटी की समस्या नहीं होती है लेकिन इसके लिए लाइफस्टाइल और अन्य कारक भी हैं। इसलिए हर महिला को अपने ओवेरियन रिजर्व को समझना बहुत जरूरी है। इससे आपको एक बेहतर फैसला लेने और अनावश्यक तनाव लेने से बचने में मदद मिल सकती है। इस मामले में महिलाओं के लिए एंटी-म्युलेरियन हार्मोन (एएमएच) टेस्ट करा सकती हैं। यह टेस्ट वो महिलाएं करा सकती हैं जिन्हें गर्भवती होने में परेशानी हो रही है। मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर की वाइस प्रेसिडेंट डॉक्टर अनीता सूर्यनारायणआपको इस टेस्ट और इनफर्टिलिटी से बारे में सब कुछ बता रही हैं।
एंटी-म्युलेरियन हार्मोन (एएमएच) टेस्ट क्या है?
एंटी-म्युलेरियन हार्मोन ओवेरियन फॉलिक में मौजूद सेल्स द्वारा पैदा होता है। खून में इन हर्मोन के लेवल से ओवेरियन रिज़र्व का पता चलता है, इससे गर्भधारण या गर्भधारण में हो रही देरी वाली महिलाओं में इनफर्टिलिटी पोटेंशियल की जांच करने में मदद मिल सकती है। ओवेरियन रिज़र्व किसी भी समय ओवेरियन में मौजूद एग्स का पूल है। ओवेरियन रिज़र्व कम तब होता है, जब संख्या में शारीरिक कमी आती है, इसका परिणाम यह होता है कि र्भावस्था सुनिश्चित करने के लिए इनकी अपर्याप्त संख्या होती है। एएमएच हार्मोन का कम लेवल इनफर्टिलिटी को दर्शाता है और बढ़े हुए लेवल पोली सेसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस) जैसी स्थिति हो सकती है।
इस बात का रखें ध्यान
ऐसे कपल्स जो कंसीव करना चाहते हैं लेकिन नहीं हो पा रहा है, तो उन्हें डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। बेहतर ट्रीटमेंट के जरिए वर्तमान स्थिति को समझना और चिकित्सक की सलाह के अनुसार आगे उपचार कराना महत्वपूर्ण है।
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अनुवादक – Usman Khan
चित्र स्रोत - Shutterstock