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इन कारणों से कमजोर हो रहे हैं पुरुषों के शुक्राणु

इन कारणों से कमजोर हो रहे हैं पुरुषों के शुक्राणु
हाल ही में हुए सर्वे में जो आंकड़े सामने आए वह डराने वाले हैं। भारत में हर दस में से एक जोड़ा इस समस्‍या का सामना कर रहा है। ©Shutterstock.

हाल ही में हुए सर्वे में जो आंकड़े सामने आए वह डराने वाले हैं। भारत में हर दस में से एक जोड़ा इस समस्‍या का सामना कर रहा है।

Written by Editorial Team |Published : March 17, 2019 8:52 PM IST

इरेक्‍टाइल डिस्‍फंक्‍शन से लेकर प्रीमेच्‍योर इजेकुलशन तक पुरुषों में सेक्‍स संबंधी समस्‍याओं में इजाफा हुआ है। इन्‍हीं में बांझपन यानी इन्फर्टिलिटी की समस्या भी पिछले कुछ समय से काफी बढ़ गई है। हाल ही में हुए सर्वे में जो आंकड़े सामने आए वह डराने वाले हैं। भारत में हर दस में से एक जोड़ा इस समस्‍या का सामना कर रहा है।

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क्‍या कहते हैं आंकड़ें

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इरेक्‍टाइल डिस्‍फंक्‍शन से लेकर प्रीमेच्‍योर इजेकुलशन तक पुरुषों में सेक्‍स संबंधी समस्‍याओं में इजाफा हुआ है। इन्‍हीं में बांझपन यानी इन्फर्टिलिटी की समस्या भी पिछले कुछ समय से काफी बढ़ गई है। भारत में लगभग 2 करोड़ 75 लाख जोड़े बांझपन का शिकार हैं, यानी हर 10 में से 1 जोड़ा शादी के बाद बच्चा पैदा करने में सक्षम नहीं है।

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[caption id="attachment_656185" align="alignnone" width="655"]bad-habits-weak-spermcount आजकल कम उम्र में सिगरेट, शराब, गुटखा और कई बार ड्रग्स की लत भी लड़के-लड़कियों में काफी बढ़ गई है। ©Shutterstock.[/caption]

यह हैं खास कारण

महिलाओं में है यह कारण - चिकित्सक मानते हैं कि 35 की उम्र के बाद महिलाओं को मां बनने में सामान्य से ज्यादा मुश्किलें आती हैं। ज्यादातर मामलों में नॉर्मल डिलीवरी के बजाय ऑपरेशन करना पड़ता है और कई जोड़ों में शुक्राणुओं की क्वालिटी भी खराब होने लगती है, जिससे उन्हें प्रेग्नेंसी में परेशानी आती है। दूसरे कारण जो आजकल अधिकांश स्त्रियों में पाये जा रहे हैं वो हैं फाइब्रायड का बनना, एन्डोमैंट्रियम से सम्बन्धी समस्याएं। उम्र के बढ़ने के कारण हाइपरटेंशन जैसी दूसरी समस्याएं भी आ जातीं हैं और इनके कारण महिलाओं में फर्टिलिटी प्रभावित होती है।

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पुरुषों की ये गलत आदतें हैं जिम्‍मेदार - आजकल कम उम्र में सिगरेट, शराब, गुटखा और कई बार ड्रग्स की लत भी लड़के-लड़कियों में काफी बढ़ गई है। इन आदतों के कारण भी वीर्य की गुणवत्ता खराब होती है और स्पर्म काउंट कम होता है। यह होने वाले बच्चे में आनुवांशिक तौर पर बदलाव भी कर सकता है । इसी प्रकार से अल्कोहल भी टेस्टोस्टेरॉन के उत्पादन को कम करता है। विशेषज्ञों के अनुसार किसी प्रकार की दवाओं या ड्रग्स के गलत तरीके से इस्तेमाल के कारण भी इन्फर्टिलिटी हो सकती है। स्टेरायड जैसे हार्मोन हमारे शरीर के हार्मोन के स्त‍र में बदलाव लाते हैं जो कि हमारे स्वास्‍थ्‍य को भी प्रभावित कर सकते हैं। बीमारी होने पर भी चिकित्सक की सलाहानुसार ही दवाएं लेनी चाहिए।

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बड़े शहरों की समस्‍या - आजकल लगभग हर सेक्टर में काम और सफलता का दबाव पहले से ज्यादा बढ़ गया है। इस कारण से लोग ओवर टाइम, नाइट शिफ्ट या घर पर काम करने को मजबूर होते हैं। काम के साथ-साथ शरीर के लिए आराम भी बहुत जरूरी है। समय कम होने के कारण लोग न तो एक्सरसाइज करते हैं और न ही अपने खानपान पर ध्यान दे पाते हैं। इन कारणों से भी धीरे-धीरे व्यक्ति के स्पर्म की क्वालिटी पर असर पड़ता है।

विभिन्‍न बीमारियां भी हैं जिम्‍मेदार

हाइपरटेंशन (हाई ब्लड प्रेशर), डायबिटीज, मोटापा जैसी समस्या आजकल युवाओं में भी आम हो गयी है। इनका प्रभाव व्यक्ति की सेक्सुअल लाइफ पर भी पड़ता है । डायबिटीज़, पी सी ओ डी (पॉलीसिस्टिक ओवरियन डिज़ीज़) के कारण महिलाओं मे बहुत सी बीमारियां आम हो गयी हैं । 60 से 70 प्रतिशत महिलाओं में ओवुलेशन की क्रिया ही नहीं होती । वज़न का बढ़ना और व्यायाम की कमी के कारण भी सही मात्रा में हार्मोन नहीं बन पाते। बचपन से ही लोगों में कंप्‍यूटर और लैपटाप पर बैठना आम है और यह कारण भी कहीं ना कहीं इन्फर्टिलिटी के जि़म्मेदार होते हैं।

[caption id="attachment_656186" align="alignnone" width="655"]spermcount शहरी वातावरण में बढ़ते प्रदूषण और टाक्सिन ने 45 से 48 प्रतिशत इन्फर्टिलिटी के मामले बढ़ा दिये हैं। ©Shutterstock.[/caption]

प्रदूषण भी है वजह

शहरी वातावरण में बढ़ते प्रदूषण और टाक्सिन ने 45 से 48 प्रतिशत इन्फर्टिलिटी के मामले बढ़ा दिये हैं। जीवनशैली में बदलाव और खानपान की गलत आदतें भी अप्रत्यक्ष रूप से इन्फर्टिलिटी की जि़म्मेदार हैं। पेस्टिसाइड और प्लास्टिक का खानपान के दौरान हमारी फूड चेन में आना हार्मोन के स्तर को प्रभावित करता है। यूनिवर्सिटी आफ नार्थ कैरालिना, चैपल हिल के शोधकर्ताओं ने यह पता लगाया है कि वो महिलाएं जो नाइट शिफ्ट में काम करती हैं उनमें समय से पहले प्रसव की सम्भावना रहती है ।

इस तरह करें इन्‍फर्टिलिटी से बचाव

बांझपन या इन्फर्टिलिटी दूर करने के लिए जरूरी है कि आप अभी से अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखें। शुरुआत से अपना मोटापा, डायबिटीज और ब्लड प्रेशर कंट्रोल रखें। सिगरेट, शराब, तंबाकू उत्पादों का सेवन बिल्कुल बंद कर दें। खानपान में पौष्टिक आहार शामिल करें और रोज थोड़ी एक्सरसाइज जरूर करें।