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पैर में दर्द या फिर पैर की मांसपेशियों में ऐंठन को आमतौर पर बिना कोई बड़ी समस्या समझे नजरअंदाज कर दिया जाता है। और अगर पैरों में लंबे समय तक दर्द रहता है, तो लोग सामान्य तौर पर तेल मालिश, बर्फ के टुकड़े से सिंकाई, बाम और तो और पेनकिलर लेकर ठीक कर लेते हैं। अक्सर मांसपेशियों में ऐंठन या पैर में दर्द रहना उन लोगों में आम समझा जाता है, जो तनावपूर्ण शारीरिक गतिविधियों में शामिल रहते हैं या फिर खेलते-कूदते रहते हैं, जिसके कारण इस समस्या को बड़े पैमाने पर नजरअंदाज किया जाता है। इस समस्या से परेशान लोग डॉक्टर के पास तब जाते हैं जब मांसपेशियों में बेचैनी ज्यादा बढ़ जाती है या फिर दर्द असहनीय हो जाता है।
पैर का दर्द, मांसपेशियों में खिंचाव या पैर में सूजन इस बात का संकेत हैं कि आपके पैरों की नसों में गंभीर रूप से शिकायत आने लगी है। अंग्रेजी भाषा में इसे डीवीटी यानी की डीप वेन थ्रोमबोसिस कहते हैं। अगर शुरुआत में ही इस स्थिति का पता नहीं लगाया जाए और समय पर इलाज न मिल पाए तो डीवीटी किसी भी व्यक्ति के लिए जानलेवा हो सकता है।
DVT का मतलब है आपकी नसों के भीतर बनने वाले थक्के, जो आमतौर पर पैर की नसों में पाए जाते हैं। ये थक्के दर्द और अन्य लक्षणों का कारण बन सकते हैं लेकिन अगर ये मुक्त होकर आपके रक्तप्रवाह में फैल जाएं तो ये आपके दिल और फेफड़ों की धमनियों में जाकर रक्तप्रवाह को अवरुद्ध कर सकते हैं। इसके कारण आपको दिल का दौरा और सांस लेने में मुश्किल भी हो सकती है। DVT शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है लेकिन इसके पैरों के निचले भाग, जांघों और पेल्विस हिस्से में होने की संभावना अधिक होती है।
हर किसी में डीवीटी के लक्षण नहीं दिखाई देते हैं। लेकिन यहां कुछ संकेत हैं जिन पर ध्यान देकर आप पता लगा सकते हैं कि आप भी इस रोग का शिकार हैं:
अधिकांश मामलों में लोगों को यह पता ही नहीं होता है कि उन्हें DVT है भी लेकिन जब उन्हें किपल्मोनरी एम्बोलिज्म जैसी अधिक गंभीर स्थिति का सामना करना पड़ता है तब उन्हें इस बीमारी का शिकार होने की बात पता चलती है। इस स्थिति में रक्त का थक्का मुक्त हो जाता है और हमें रक्तप्रवाह से गुजरता है और फेफड़ों की रक्त वाहिका में चला जाता है। यह और तब घातक हो सकता है जब ये थक्का आपके ह्रदय की रक्त वाहिकाओं में पहुंच जाता है, जिसके कारण हृदय की तेज गति, सीने में दर्द, सांस की तकलीफ और खांसी में खून आने लगता है।
इस रोग के उपचार में रक्त के थक्कों को बड़ा होने से रोकना और उन्हें फटने से बचाना और फेफड़ों की ओर बढ़ने से रोकना भी शामिल है। डीवीटी के जोखिम को जीवनशैली में कुछ आसान बदलाव से कम किया जा सकता है। जैसेः