आक अनेक औषधीय गुणों से संपन्न एक खास प्रकार का पौधा है, जिसकी पहचान एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी के रूप में की जाती है। आक का पौधा आमतौर पर बंजर जमीन में अपने आप उग जाता है और इसे ज्यादा पानी की भी आवश्यकता नहीं होती है। आक के पत्ते बरगद के पेड़ के समान होते हैं और इसके फूल का रंग सफेद व बैंगनी होता है। आक में ऐसे खास प्रकार के तत्व होते हैं, जिनकी मदद से कई गंभीर रोगों का इलाज किया जा सकता है। आक को मदार के नाम से भी जाना जाता है और इसका वैज्ञानिक नाम जायंट कैलोट्रोप (Giant calotrope) है।
आक में अनेक प्रकार के स्वास्थ्यवर्धक गुण पाए जाते हैं, जिनसे प्राप्त होने वाले लाभों में प्रमुख रूप से निम्न शामिल हैं -
आक के रस (आक का दूध) में खास प्रकार के शक्तिशाली तत्व पाए जाते हैं, जिनकी मदद से कान दर्द को दूर किया जा सकता है। आप रुई के साथ एक या दो बूंद कान में डाल सकते हैं।
आक के पत्तों में कुछ खास प्रकार के तत्व शामिल होते हैं, जिनकी मदद से सिरदर्द को दूर किया जा सकता है। आक के पत्तों को पीस लें और उनका लेप सिर पर लगाएं।
आक के रस में अनेक प्रकार के एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटी सेप्टिक गुण पाए जाते हैं, जो त्वचा पर होने वाली सूजन, लालिमा व जलन को कम करने में मदद करते हैं। साथ ही इसका एंटी बैक्टीरियल प्रभाव कई प्रकार के संक्रमणों को बढ़ने से रोकता है।
बवासीर से परेशान लोगों के लिए भी आक का इस्तेमाल करना काफी लाभदायक हो सकता है। आक के पत्तों को पीसकर बवासीर के घाव पर लगाने से दर्द में आराम मिलता है और साथ ही घाव जल्दी भरने लगता है।
हालांकि, आक से प्राप्त होने वाले उपरोक्त लाभ पूरी तरह से प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों पर आधारित हैं और हर व्यक्ति के शरीर पर इसका प्रभाव अलग हो सकता है।
आक के रस में कई ऐसे तत्व होते हैं, जो शरीर में जाकर विषाक्त प्रभाव पैदा कर सकते हैं। आक का सेवन करने से निम्न समस्याएं हो सकती हैं -
हालांकि, गर्भवती महिलाओं और अन्य रोगों से ग्रस्त व्यक्तियों को आक से अन्य कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
आक का इस्तेमाल निम्न तरीके से किया जा सकता है -
हालांकि, यदि आप आक के पत्तों या रस का सेवन करना चाहते हैं, तो उससे पहले डॉक्टर से संपर्क करने की सलाह दी जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि कुछ लोगों के लिए आक के पत्ते या रस विषाक्त हो सकते हैं।
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