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Menopause and Cardiovascular Diseases: कार्डियोवैस्क्युलर बीमारियों (Cardiovascular Diseases) से बचने के लिए अनुशासन वाली लाउफस्टाइल की ज़रूरत पड़ती है। जैसा कि , अनुवांशिक कारणों के अलावा ज़्यादातर दिल की बीमारियां (Cardiovascular Diseases) ग़लत खान-पान और सुस्त लाइफस्टाइल की वजह से होती हैं। इसीलिए, एक्टिव रहने के साथ-साथ सही डायट और नशे से बचने जैसे उपाय करना ज़रूरी है।
हमारे आसपास दिल के मरीज़ होते हैं। खासकर, महिलाओं को दिल की बीमारियों का ख़तरा अधिक होता है। इसीलिए, महिलाओं में कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों और उनके खतरे के बारे में कई भ्रांतियां हैं। इसी तरह एक मिथक है कि मेनोपॉज़ (Menopause and Cardiovascular Diseases in hindi.) के बाद दिल की बीमारियों का खतरा अधिक होता है। जानते हैं इसके पीछे का सच-
मेनोपॉज़ के बाद कार्डियोवैस्कुयलर बीमारियों (Menopause and Cardiovascular Diseases) का खतरा नहीं बढ़ता। लेकिन, मेनोपॉज़ के बाद होने वाली कुछ विशेष स्थितियों के कारण हार्ट डिज़िज़ेज़ होने का डर बढ़ जाता है। जैसे हाई फैट डायट, स्मोकिंग जैसी लाइफस्टाइल से जुड़ी ग़लतियां (lifestyle mistakes that can cause heart diseases) इनकी संभावना बढ़ा सकती हैं। जैसा कि मेनोपॉज़ के बाद शरीर में हार्मोन्स का बदलाव होता है। जिससे, महिलाओं में दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। ( Risk of Cardiovascular Diseases in women)
मेनोप़ॉज़ के बाद एस्ट्रोजेन हार्मोन्स के स्तर में गिरावट से दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। खासकर, 50 वर्ष की उम्र के बाद यह संभावना अधिक होती है। विभिन्न स्टडीज़ और रिसर्च में यह बात कही गयी है कि 50 वर्ष की उम्र के बाद 50 फीसदी से अधिक महिलाओं की मृत्यु की वजह कार्डियाक हेल्थ यानि दिल की सेहत से जुड़ी परेशानियां ही होती हैं। इसी तरह कार्डियाक फंक्शन और लाइफस्टाइल की स्थितियों के कारण ऐसा हो सकता है।