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सर्दियों में बढ़ गई है अपच की समस्‍या, तो योगासन से पाएं लाभ

सर्दियों में बढ़ गई है अपच की समस्‍या, तो योगासन से पाएं लाभ
बेवक्त खाना, नींद पूरी न लेना, तनाव अधिक लेना, फास्ट फूड अधिक खाना, जल्दी-जल्दी भोजन करना, शारीरिक क्रिया कम होना, देर तक बैठ कर काम करना आदि इसके प्रमुख कारण हैं। पाचन तंत्र को ठीक करने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है शरीर को सक्रिय रखना। योग इसमें मददगार है। © Shutterstock

बेवक्त खाना, नींद पूरी न लेना, तनाव अधिक लेना, फास्ट फूड अधिक खाना, जल्दी-जल्दी भोजन करना, शारीरिक क्रिया कम होना, देर तक बैठ कर काम करना आदि इसके प्रमुख कारण हैं। पाचन तंत्र को ठीक करने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है शरीर को सक्रिय रखना। योग इसमें मददगार है।

Written by Yogita Yadav |Published : December 26, 2018 1:38 PM IST

सर्दियों में हम खूब खाते हैं, पर शारीरिक श्रम में कमी आती जाती है। जिसकी वजह से कई बार अपच यानी बदहजमी की समस्‍या हो जाती है। अगर आप भी कर रहे हैं इस समस्‍या का सामना, तो योगासन करेंगे आपकी मदद। आइए जानते हैं योग के उन आसनों के बारे में शरीर को वॉर्मअप कर पाचन तंत्र को दुरुस्‍त करते हैं।

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क्यों कमजोर हो जाता है पाचन तंत्र

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बेवक्त खाना, नींद पूरी न लेना, तनाव अधिक लेना, फास्ट फूड अधिक खाना, जल्दी-जल्दी भोजन करना, शारीरिक क्रिया कम होना, देर तक बैठ कर काम करना आदि इसके प्रमुख कारण हैं। पाचन तंत्र को ठीक करने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है शरीर को सक्रिय रखना। साथ ही अधिक मात्रा में पानी पिएं, अपनी दिनचर्या सही रखें  और पूरी नींद लें।

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कपालभाति - कपालभाति प्राणायाम के अभ्यास से तनाव, अस्थमा की बीमारी दूर हो जाती हैं। इससे गैस, कब्ज और खून के विकार की समस्याएं दूर होती हैं।

विधि : पद्मासन, सिद्धासन, सुखासन या कुर्सी पर रीढ़, गला व सिर को सीधा कर बैठ जाएं। हाथों को घुटनों पर स्थिरतापूर्वक रख लें। आंखों को ढीला बंद कर तीन-चार श्वास-प्रश्वास लें। अब नासिका द्वारा सामान्य श्वास अंदर लेकर नासिका द्वारा ही एक हल्के झटके से श्वास बाहर निकालें। पुन: सामान्य श्वास अंदर लेकर झटके से प्रश्वास बाहर निकालें। यह कपालभाति क्रिया है। इसमें आवृत्तियों चक्रों की संख्या बढ़ाएं।

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वज्रासन - खाना खाने के बाद वज्रासन करना पेट और गर्भाशय की मांसपेशियों को शक्ति प्रदान करता है। नियमित तौर पर वज्रासन का अभ्यास जोड़ों के दर्द जैसे रोगों को दूर रखने में मददगार होता है। वजन को कम और शरीर को सुडौल बनाने में यह आसन मदद करता है। वज्रासन के दौरान शरीर के मध्य भाग पर सबसे अधिक दबाव पड़ता है। इस दौरान पेट और आंतों पर हल्का दबाव पड़ता है, जिससे कब्ज की दिक्कत दूर होती है और पाचन ठीक रहता है।

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विधि : इस आसन के लिए आप दोनों घुटनों को मोड़ लें और पंजों के बल नीचे बैठ जाएं। शरीर का पूरा भार आप पैरों पर डालें। वज्रासन करते समय कमर एकदम सीधी रखें। अब इसी अवस्था में 10 मिनट बैठे रहें और लम्बी-लम्बी सांस लें।

नौकासन - इस आसन को नौकासन इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इसमें मुद्रा नाव की तरह होती है। यह पेट की चर्बी को कम करने के लिए बहुत ही प्रभावशाली योगाभ्यास है। यह पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है, साथ ही साथ सिर से लेकर पैर की अंगुली तक फायदा पहुंचाता है।

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विधि : सबसे पहले आप पीठ के बल लेट जाएं। आपके हाथ जांघ के बगल में हों और आपका शरीर एक सीध में हो। अब आप सांस लेते हुए अपने सिर, पैर को 30 डिग्री पर उठाएं। धीरे-धीरे सांस लें और धीरे-धीरे सांस छोड़ें, इसको अपने हिसाब से बनाए रखें।

धनुरासन - इस आसन में शरीर की आकृति खिंचे हुए धनुष के समान दिखाई देती है, इसलिए इसे धनुरासन कहा जाता है। इससे सभी आंतरिक अंगों, मांसपेशियों और जोड़ों का व्यायाम हो जाता है। गले के तमाम रोग नष्ट होते हैं। पाचन शक्ति बढ़ती है, सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस, कमर दर्द और पेट संबंधी रोगों में भी यह लाभकारी है।

विधि : सबसे पहले आप पेट के बल लेट जाएं। सांस छोड़ते हुए घुटनों को मोड़ें और अपने हाथ से टखनों को पकड़ें। सांस लेते हुए आप अपने सिर, छाती एवं जांघ को ऊपर की ओर उठाएं। अपने शरीर के लचीलेपन के हिसाब से आप अपने शरीर को और ऊपर उठा सकते हैं। इसी तरह पेट संबंधी विकार दूर करने के लिए अग्निसार क्रिया का भी लाभ लिया जा सकता है।