• हिंदी

पीरियड्स के दौरान होने वाली तकलीफों से आराम के लिए महिलाएं करें इस योगासन का अभ्यास, डायजेशन भी होगा बूस्ट

पीरियड्स के दौरान होने वाली तकलीफों से आराम के लिए महिलाएं करें इस योगासन का अभ्यास, डायजेशन भी होगा बूस्ट

पीरियड्स की तकलीफों से राहत पाने के लिए आप योगासनों की मदद ले सकते हैं। कुछ योगासनों के अभ्यास से महिलाओं को पीरियड्स के समय होनेवाली तकलीफों से आराम मिलता है। (Yoga for Painful Periods)

Written by Sadhna Tiwari |Updated : November 4, 2020 9:01 AM IST

Yoga for Painful Periods: पीरियड्स के दौरान महिलाओं को कई प्रकार की तकलीफें होती हैं। पेट में दर्द, पीरियड क्रैम्प्स, बदन दर्द, पेट में भारीपन, चक्कर आना, उल्टी होना और कमज़ोरी महसूस होने जैसी कई समस्याएं महिलाओं को पीरियड्स के दौरान महसूस होती हैं। महिलाओं के लिए यह दर्द और तकलीफें महसूस करना बहुत मुश्किल हो जाता है। ( Painful Periods Problems in Women)

कई बार पेन किलर खाने से कुछ समय के लिए आराम तो मिल जाता है। लेकिन, पीरियड्स के दौरान बार-बार यह तकलीफें लौट आती हैं। पीरियड्स की इन तकलीफों से राहत पाने के लिए आप योगासनों की मदद ले सकते हैं। कुछ योगासनों के अभ्यास से महिलाओं को पीरियड्स के समय होनेवाली तकलीफों से आराम मिलता है। (Yoga for Painful Periods)

पीरियड्स की परेशानियों से आराम के लिए करें अग्निसार क्रिया का अभ्यास:

अग्निसार क्रिया (Agnisar Kriya), योगासन का अभ्यास करना पीरियड्स के समय की दिक्कतों को कम करता है। इसके नियमित अभ्यास से धीरे-धीरे तकलीफें कम होने लगती हैं। अग्निसार क्रिया माहवारी से जुड़ी तकलीफों से ना केवल बचाव करती है बल्कि, उन्हें कम भी करती है। अग्निसार क्रिया से डायजेशन (Digestion) भी सुधरता है, जिससे, पेट से जुड़ी समस्याएं जैसे-कॉन्स्टिपेशन, एसिडिटी और ब्लोटिंग कम होती है। साथ ही अग्निसार क्रिया शरीर में मौजूद बैक्टेरियाज़ को भी खत्म करता है।

Also Read

More News

यह है अग्निसार क्रिया के अभ्यास का तरीका

  • सबसे पहले ज़मीन पर चादर बिछाकर बैठें। बैठते समय वज्रासन या सुखासन की मुद्रा में बैठें।
  • अपने दोनों हाथों की हाथेलियों को दोनों घुटनों पर रख दें।
  • अब गहरी सांस लें और फिर, सांस को जल्दी-जल्दी छोड़ते हुए बाहर फेंके। पेट को फूलाने-पचकाने की इस प्रक्रिया को ही अग्निसार क्रिया करती है।
  • एक्सपर्ट्स के अनुसार, एक बार में 30-35 बार पेट को फूलाने-पचकाने का काम करें। जितना हो सके पेट को उतना अंदर तक खींचे। अपनी सुविधानुसार आप इस प्रक्रिया को दोहराएं, फिर सांस छोड़ें। फिर सामान्य स्थिति में आ जाएं।
  • प्रतिदिन अभ्यास के दौरान 12-15 बार यह दोहराएं।