उत्साह है तो जीवन है। उत्साह नहीं तो जीवन निरर्थक है। इसके बिना जीवन जीना आसान नहीं। उत्साह जिंदगी को सार्थक बनाता है। मन मस्तिष्क एवं शरीर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए भी उत्साह जरूरी है। इसकी कमी से मस्तिष्क और शरीर अस्वस्थ होने लगता है। वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. संजय तेवतिया कहते हैं कि उत्साह हीन होने से व्यक्ति में मानसिक एवं मनोवैज्ञानिक रोग उत्पन्न होने लगते हैं। जब दिमाग रोग से घिर जाता है तो शरीर भी कई रोगों का घर बन जाता है। ऐसे में मन मस्तिष्क एवं शरीर को स्वस्थ्य रखने के लिए खुद को