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रेस्टोरेंट में खाना खाते समय कुछ ज़्यादा मंगा लेने और चिप्स का बड़ा पैकेट खरीद लेने के बाद आप उसे खाए बिना नहीं रह पाते। ज़्यादा खाने की यह आदत स्वादिष्ट खाने की वजह से नहीं होती, बल्कि इसका लेना-देना आपके मूड से होता है। आप अपनी मानसिक ज़रूरतों को पूरा करने के लिए ज़्यादा खाना खाते हैं। तो आप खुद को इमोशनल इटिंग से बचाने के लिए क्या करेंगे? न्यूट्रिशनिस्ट करिश्मा चावला बता रही हैं कुछ ऐसी ही टिप्स-
कॉफी पीना बंद करें: कॉफी जैसे कैफीन वाले पेय पदार्थ आपके तनाव की वजह से लगनेवाली भूख को और बढ़ा देते हैं। इसीलिए कप कॉफी पीने की बजाय ग्रीन टी पीएं। ग्रीन टी में एमिनो एसिड थायामिन (amino acid thiamine) होते हैं जो आपको आराम देते हैं और आपको ज़्यादा खाने से रोकता है।
हर निवाले के चबाकर खाएं: निवाले निगलने की बजाय खाने का स्वाद लेना ज़्यादा ज़रूरी है। इस तरह, आप हर निवाले को चबा-चबाकर खाएं, इससे आपका पेट भर जाता है और आप ज़्यादा खाने से बच जाते हैं।
अपनी भूख का कारण समझे: भावनात्मक भूख प्रबल होती है जबकि पेट की भूख से धीरे-धीरे तेज़ होती है। आपका पेट जो महसूस करता है उसे समझने कि कोशिश करें—क्या वह खाली है और इसी वजह से आपको भूख लग रही है? आपकी खाने की लालसा को पूरा करने से पहले थोड़ा इंतज़ार करें और देखें कि क्या भूख कम हो रही है।
अच्छा खाना खाएं: यह अहम है कि आप संतुलित आहार खाएं, जिसमें कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और हेल्दी फैट्स हों। जब आप अपना पेट हेल्दी खाने से भरते हैं तो आपको यह समझने में आसानी होती है कि आपकी भूख आपके पेट से शुरु है या केवल आपके दिमाग में है।
अपने नकारात्मक विचारों को लिखे और फेंक दें: कभी-कभी अपने नकारात्मक विचारों को लिखना और कचरे के डिब्बे में फेंकना बहुत अच्छा होता है। जर्नल साइकोलॉजिकल साइंस में छपी एक स्टडी में इस तरीके को असरदार बताया गया है। इसीलिए अगली बार जब आपके नकारात्मक विचार आपको घेर लें तो उन्हें फटाफट किसी कागज़ पर लिखें और उसे कचरे के डिब्बे में फेंक दें।
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अनुवादक: Sadhana Tiwari
चित्र स्रोत: Shutterstock.